आज के समय में फसलों की सिंचाई करने की तकनीक में काफी बदलाव आ चुका है, जिससे सिंचाई व्यवस्था काफी आसान हो गई है. मगर कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आज भी किसानों को फसलों की सिंचाई करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इन क्षेत्रों में बुंदेलखंड का नाम भी आता है. बुंदेली किसानों को फसलों की सिंचाई करने में काफी परेशानी होती है, इसलिए कृषि विभाग ने रबी सीजन में गेहूं की एक नई प्रजाति का बीज मंगवाया है.
इस बीज की बुवाई के बाद किसानों को 2 बार फसल की सिंचाई करनी होगी, जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा. वैसे दावा किया जा रहा है कि अगर सिंचाई की व्यवस्था नहीं हुई, तो भी किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा, बल्कि फसल का उत्पादन अच्छा ही मिलेगा.
गेहूं की नई किस्म 1317 का बीज (New variety of wheat 1317 seed)
आपको बता दें कि धर्मनगरी चित्रकूट में अधिकतर किसान बारिश के भरोसे ही खेती करते हैं. इस कारण फसलों की सिंचाई के संसाधन पर्याप्त नहीं होते हैं. जिन किसानों के पास निजी नलकूप होते हैं, बस वही किसान बेहतर खेती कर पाते हैं. ऐसे में सिंचाई के अभाव में कई किसानों की फसलें दम तोड़ देती हैं. इस रबी सीजन के लिए कृषि विभाग ने गेहूं की नई किस्म1317 का बीज मंगवाया हैं. इस किस्म की बुवाई से कम पानी में फसल का अच्छा उत्पादन मिल सकता है.
इतने दिन में फसल होगी तैयार (In so many days the crop will be ready)
इस नई किस्म से फसल लगभद120 से125 दिन में तैयार हो जाती है. बता दें कि इस नई किस्म का84 क्विटंलबीज मंगवाया गया है. इसे किसान भी पसंद कर रहे हैं. कृषि विभाग का कहना है कि इस साल किसान गेहूं की मांग अधिक कर रहे हैं, जबकि चना का बीज कम मांगा जा रहा है.
गेहूं की नई किस्म 1317 से उत्पादन (New variety of wheat production from 1317)
कृषि विभाग का कहना है कि इस नई किस्म का बीज पहली बार चित्रकूट में मंगवाया गया है. यह बुंदेलखंड के किसानों के लिए बहुत ही बेहतर साबित होगा है. इस बीड की बुवाई करने के बाद 2 बार सिंचाई करनी होगी. इससे फसल का उत्पादन55 से60 क्विटंल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाता है.
किसानों के लिए लाभकारी है ये किस्म (This variety is beneficial for farmers)
गेहं की नई किस्म 1317 को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा विकसित किया गया है. यह प्रजाति बुंदेली किसानों के लिए खासतौर पर लाभकारी साबित होगी. कृषि विभाग ने दावा किया है कि अगर इस किस्म की फसल को एक बार बारिश का पानी सिंचाई के लिए मिल जाए, तो फसल का बहुत अच्छा उत्पादन मिल सकता है. इससे किसान की मेहनत और लागत, दोनों की बचत होगी.
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