कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भारत में ज्यादातर किसानों की स्थिति ठीक नहीं है. सरकार कई तरह से इनकी आय बढ़ाने की कोशिश में लगी है, लेकिन ऐसा क्या है जिसकी वजह से किसानों की स्थिति में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं आ रहा है. आखिर क्यों किसानों को बार-बार आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ता है. देश के हर तबके का पेट भरने वाला किसान आखिर खुद का पेट क्यों नहीं भर पाता. केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा, जिस पर सरकार लगातार कम कर भी रही है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है. लेकिन सवाल ये खड़े होते हैं कि आखिर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों का कुल वार्षिक और मासिक औसत आय कितनी है?
एक सर्वे के अनुसार देश के ज्यादातर किसानों की स्थिति मजदूरों जैसी है. भारत के अधिकतर राज्यों में किसानों की वार्षिक औसत आय 1 लाख रुपए भी नहीं है. बिजनेस टूडे (Business today) के मुताबिक देश के किसान सालाना औसतन 77,124 रुपए ही कमा पाते हैं. इस हिसाब से भारतीय किसान हर महीने केवल 6,427 रुपए ही कमा पा रहे हैं, जबिक किसानों का औसत मासिक खर्च भी लगभग 6,227 रुपए है. यही वजह है कि खर्च निकालने के बाद किसानों के पास सेविंग के नाम पर कुछ नहीं बचता.
बिजनेस टूडे के मुताबिक देश में पंजाब और हरियाणा के किसानों की स्थिति सबसे ठीक है, जबकि बिहार के किसान कमाई के मामले में सबसे पीछे हैं.
Income of Farmers: किस प्रदेश में सालाना कितना कमाता है किसान?
पंजाब: देश में पंजाब के किसानों की औसत आय सबसे ज्यादा है. यहां के किसानों की सालाना कमाई लगभग 2,16,708 रुपए है.
हरियाणा: प्रतिवर्ष औसत आय के मामले में दूसरा नंबर हरियाणा का है. यहां के किसानों की सालाना आय 1,73,208 रुपए के करीब है.
जम्मू-कश्मीर: सालाना आय के मामले में जम्मू-कश्मीर का तीसरा स्थान है. यहां के किसानों की प्रतिवर्ष औसत आए 1,52,196 रुपए है.
केरल: जम्म-कश्मीर के बाद केरल के किसानों की औसत आय सबसे ज्यादा है. इस मामले में केरल का स्थान चौथे नंबर पर है. यहां के किसान हर साल औसतन 1,42,668 रुपए कमा पाते हैं.
कर्नाटक: प्रतिवर्ष औसत आय के मामले में कर्नाटक का किसान 5वें नंबर पर है. यहां के किसान सालभर में औसत 1,05,984 रुपए कमा पाता हैं.
इन प्रदेशों में किसानों की प्रतिवर्ष आय 1 लाख से भी कम
हैरान करने वाली बात ये है कि सिर्फ 5 प्रदेश ही ऐसे हैं जहां किसानों की सालाना आय 1 लाख से ऊपर है. इन राज्यों के बाद गुजरात और महाराष्ट्र का नंबर आता है. गुजरात में किसानों की प्रतिवर्ष औसतन आय 95,112 रुपए है, तो वहीं महाराष्ट्र में किसान हर साल औसतन 88,620 रुपए ही कमा पाते हैं. राजस्थान के किसानों की प्रतिवर्ष औसतन आय 88,188 रुपए, मध्य प्रदेश के किसानों की आय 74,508 रुपए है. छत्तीसगढ़ के किसानों की भी स्थिति अच्छी नहीं है, यहां के किसान हर साल औसतन 62,124 रुपए ही कमा पाते हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान सबसे पीछे हैं. सालाना औसत आय के मामले में उत्तर प्रदेश के किसानों की इनकम सिर्फ 58,944 रुपए है, जबकि बिहार के किसानों की औसतन आय सबसे कम है. बिहार के किसान हर साल औसत आय के रूप से केवल 42,684 रुपए ही कमा पाते हैं, यानी बिहार के किसानों की हर महीने औसतन कमाई केवल साढ़े 3 हजार रुपए के करीब है.
ये है किसानों के विरोध की असली वजह! (Reason of Farmers Protest)
जिसके बाद किसानों का सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर सरकारी मंडियों का सिस्टम खत्म होने के बाद बिहार के किसानों की ये हालत है तो दूसरे राज्यों के किसानों को कैसे लाभ होगा?, गौरतलब है कि बिहार में 2006 से एपीएमसी यानी सरकारी मंडियों का सिस्टम नहीं है. इसके बावजूद यहां के किसानों की औसत आय देश में सबसे कम है. जबकि पंजाब में एपीएमसी सबसे मजबूत स्थिति में है यानी यहां 1840 सरकारी मंडियां है, और यहां के किसानों की औसत आय देश में सबसे ज्यादा है. जिसके बाद पंजाब और हरियाणा के किसानों को डर सता रहा है कि अगर नए कृषि कानून ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020' के तहत एपीएमसी मंडियों के बाहर किसानों की उपज बीची जाने लगेगी तो सरकारी मंडियां खत्म हो जाएंगी और बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट रहेगी.
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