1. Home
  2. सम्पादकीय

जन्मदिन विशेषः जब किसानों के लिए सड़कों पर उतरे वाजपेयी, रहना पड़ा पांच दिन जेल

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिवस पर आज हर कोई याद कर रहा है. उन्हें याद करने वालों में भारत के किसान भी हैं. किसानों के साथ वाजपेयी का अटूट नाता रहा, साल 1974 को भला कौन भूल सकता है, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर थी. उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सत्ता की डोर संभाल रही थी हेमवती नंदन. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी समाज के हर वर्ग को जनसंघ की छाया में एकजुट कर रहे थे.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिवस पर आज हर कोई याद कर रहा है. उन्हें याद करने वालों में भारत के किसान भी हैं. किसानों के साथ वाजपेयी का अटूट नाता रहा, साल 1974 को भला कौन भूल सकता है, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर थी. उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सत्ता की डोर संभाल रही थी हेमवती नंदन. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी समाज के हर वर्ग को जनसंघ की छाया में एकजुट कर रहे थे.

गेहूं की खरीदा से उठी बगावत

1973 में कांग्रेस सरकार किसानों को सरकारी दामों पर गेहूं बेचने पर विवश कर रही थी, वहीं किसान इसके लिए तैयार नहीं थे. प्रदेश में गेहूं की फसल लहलहा रही थी और सरकारी दाम इतने कम थे कि किसानों को उसमें घाटा नजर आ रहा था.

लेवी आंदोलन का जन्म

किसानों का आंदोलन जोर पकड़ रहा था, लेकिन अभी तक कोई नेता उनके पक्ष में नहीं आया था. वाजपेयी उस आंदोलन की ताकत का अंदाजा लगाने में सफल रहे, बस फिर क्या था, यहीं से जनसंघ के नेतृत्व में गेहूं के लेवी आंदोलन का जन्म हुआ, जो सियासी गलियारों में खलबली मचाने लगा. कुछ ही समय में ये आंदोलन देश भर में फैल गया. 

उत्तर प्रदेश में गेहूं की लेवी किसान आंदोलन की कमान वाजपेयी अपने हाथो में संभालते हुए सड़को पर चल रहे थे. संभवतः आजादी के बाद ये पहली बार था कि कोई नेता सरकार के खिलाफ सड़कों पर था, नारे लगा रहा था, आम किसानों के साथ उठ बैठ रहा था.

लखनऊ में दिया धरना

आम किसानों को अब तक वाजपेयी के रूप में एक नेता मिल चुका था. वो हर किसी के दिल को मोह रहे थे. कांग्रेस सरकार ने उन्हें समझाने की कीशिश की, कुछ मांगों पर बात करने के लिए भी बुलाया गया, लेकिन वाजपेई अपने मत पर साफ थे कि हर हाल में लेवी कानून को वापस लिया जाए.

आम जनता के बीच उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस सरकार गरीब किसानों और मजदूरों को अनाज बेचने के लिए विवश नहीं कर सकती है. सरकारी खरीद पर अनाज जिस भाव में लिया जा रहा है, वो बाजार के भाव से बहुत कम है.

आखिरकार सरकार ने किसानों की बात को मानते हुए ये भी कहा कि अगर वो अपनी आधी फसल बाजार और आधी फसल सरकार को बेचना चाहे तो बेच सकते हैं, लेकिन किसानों को ये बात मंजूर नहीं हुई. जनसंघ के साथ वो अभी भी सड़कों पर डते हुए रहे. 

नैनी जेल में वाजपेयी को बंद किया गया

किसानों के मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी. उनकी एक आवाज़ पर सड़कों पर भीड़ जमा हो जाती थी. आखिरकार लखनऊ में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस को उन्हें स्थानीय जेल तक ले जाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. भारत के नौजवान वाजपेयी के लिए जान देने को तैयार थे, फैसला हुआ कि उन्हें स्थानीय जेल में नहीं, बल्कि नैनी जेल में रखा जाएगा. बता दे कि उस समय नैनी जेल, देश की सबसे सुरक्षित जेल हुआ करती थी.

पांच दिन बाद मिली जमानत

इस जेल में वाजपेयी को पांच दिन रखा गया. जेल की दीवारें शांत थी, लेकिन जेल के बाहर बवाल मचा हुआ था. उनके समर्थकों की भीड़ को कंट्रोल करना सरकार के लिए अब मुश्किल हो रहा था. सरकार मुश्किल से पांच दिन भी उन्हें जेल में नहीं रख पाई और वाजपेयी जमानत पर रिहा हो गए.

English Summary: Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary special when vajpayee started protest in favour of farmer Published on: 25 December 2020, 05:24 IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News