भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली कृषि को नवीन तकनीक के प्रयोग की समृद्धि कर रहे है कृषि की बढ़ती लागत सभी के लिए चिन्ता का विषय बना हुआ है. जिसकी दूरगामी प्रभाव को देख़ते हुए हमारे कृषि वैज्ञानिक खेती की लागत को कम करने तथा उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि के लिए हमेशा डटे है. कृषि क्षेत्र में श्रमिको की बहुत बड़ी समस्या है, कृषि के विभिन्न कार्यो को करने के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती है. समय पर मजदूर न मिलने पर फसल उत्पादन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस प्रकार की समस्याओं को देख़ते हुए वर्तमान में ड्रोन का प्रचलन बढ़ रहा है, तो कृषि क्षेत्र इससे कैसे अछूता रहे है. वैज्ञानिकों ने कृषि में क्रन्तिकारी बदलाव के लिए तथा समय की बचत के लिए इस क्षेत्र को यंत्रीकरण से परिपूर्ण किया है. जिससे विभिन्न कृषि कार्यो को करने में सुगमता आई है. इस यंत्रीकरण की दिशा में ड्रोन का प्रयोग कृषि हेतु अत्यंत लाभकारी तकनीक सिद्ध हो सकता है. एक ऐसा मानव रहित विमान जिसे आम भाषा में हम ड्रोन कहते है. इसका उपयोग व्यवसायिक रूप में बहुत पहले से किया जा रहा है ड्रोन किसान के खेतों की देख-भाल के अतिरिक्त कीटनाशको उर्वरको के छिड़काव करने का बहुत सरल व आसान फसलों को रोगो व कीड़ो से सुरक्षित रखने के लिए रासायनिक दवाओं तथा कीटनाशको से भी बचता है.
खेत में फसल पर खाद, पानी की जरूरत मापने में सक्षम
1. किस क्षेत्र में कीटनाशक की जरूरत
2. किस क्षेत्र में पानी का उपयोग करना है.
3. किस क्षेत्र में फसल विकास कम हुआ है.
4. ड्रोन द्वारा पशुओं की निगरानी
ड्रोन का उपयोग
1. खेतों का सर्वेक्षण
2. कीटनाशको का छिड़काव
3. ऊंची बागवानी फसलों पर दवा का सही छिड़काव
4. मौसम का अनुमान
5. श्रम की बचत
6. लागत कम करने में सहायक
किसान ड्रोन खरीदना चाहता है तो ड्रोन की कीमत भारत में 10 हजार रूपये से लेकर 2 लाख रुपये तक उपलब्ध है.
सुजीत पाल, कृषि जागरण
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