फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी है और क्रूसिफेरस परिवार से संबंधित है और यह कैंसर की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है. इसकी खेती पूरे साल की जाती है. इसमें विटामिन बी प्रयाप्त मात्रा के साथ-साथ प्रोटीन भी अन्य सब्ज़ियों की तुलना में बहुत अधिक पाया जाता है. यह सब्जी दिल की ताकत को बढ़ाती है. यह शरीर का कोलैस्ट्रोल भी कम करती हैं. फूल गोभी बीजने वाले मुख्य राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आसाम, हरियाणा और महाराष्ट्र हैं.
अधिकतर छोटे दिनों में फूल की बढ़ोतरी बहुत अधिक होती है. जब गोभी का फूल तैयार हो रहा होता है तो तापमान ज्यादा होने से फूलों में पत्तियां आने लगती है और उनका रंग भी पीला होने लग जाता है. अगेती जातियों के लिए ज्यादा तापमान और बड़े दिनों की आवश्यकता होती है. फूलगोभी को अगर हम गर्म दशाओ में उगाएंगे तो सब्ज़ी का स्वाद तीखा हो जाएगा.
फूलगोभी की खेती के लिए भूमि (land for cauliflower cultivation)
अगर हमने गोभी की खेती करनी है तो हमें पर्याप्त भूमि पर ही करनी चाहिए, जिसका पी.एच लेवल 5.5 से 7 के मध्य हो वह भूमि इस खेती के लिए उपयुक्त है. इसके लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी तथा पिछेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. जिस भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हो वह भूमि इस खेती के लिए अच्छी है.
फूलगोभी की खेती के लिए तैयारी (Preparation for the cultivation of cauliflower)
इस खेती की लिए पहले खेत को पलेवा करे भूमि जुताई योग्य हो जाए फिर उसकी जुताई दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से करे. इसके बाद दो बार कल्टीवेटर चलाए. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाए.
गोभी की कई प्रकार की किस्मे होती है, चलिए जानते है इसकी खास किस्मो के बारे
अर्ली बरखा
यह किस्म का फूल सफ़ेद, गठा हुआ, गुंबदाकार होता है. इसका औसत वजन 800-1000 ग्राम तक होता है इसकी कटाई 55 -60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 18- 28 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
अर्ली विंटर
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 1.25-1.50 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 70 - 75 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 18- 28 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
अर्ली बसंत
यह किस्म सफ़ेद, बर्फीला, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 1.25-1.75 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 80-85 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 8- 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
जोश 45
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 800-900 ग्राम तक होता है इसकी कटाई 55-60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
स्पीड-50
यह किस्म फूल सफ़ेद, गुंबदाकार होता है. इसका औसत वजन 600-700 ग्राम तक होता है इसकी कटाई 55-60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
अर्ली 55
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 500-600 ग्राम तक होता है इसकी कटाई 55 -60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
ख़ुशी
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 500-600 ग्राम तक होता है इसकी कटाई 55-60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
बासू
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है. इसका औसत वजन 1.25-1.5 कि.ग्रा तक होता है, इसकी कटाई 60-65 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
तेज़
यह किस्म सफ़ेद, गुंबदाकार होती है और इसका आकार गोलाकार होता है. इसका औसत वजन 1-1.25 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 50-55 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
वर्तिका
यह किस्म गोलाकार की होती है. इसका औसत वजन 1.25 -1.60 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 55-60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
एस के एस-65
यह किस्म गोलाकार की होती है. इसका औसत वजन 1.25-1.5 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 65-70 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसके लिए 22-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है.
धूम 60
यह किस्म गोलाकार की होती है. इसका औसत वजन 1-1.2 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 55-60 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
अर्ली जादू
यह किस्म गोलाकार की होती है. इसका औसत वजन 1-1.2 कि.ग्रा तक होता है इसकी कटाई 50-55 दिनों के अंदर ही की जाती है. इसकी पत्तियों का रंग हल्का नीला और हरा होता है.
खाद एवं उर्वरक
इस फसल की ज्यादा मात्रा में उपज के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद डाले.इस फसल को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. भूमि में 35-40 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद 1 क्विंटल नीम की खली डालते है,रोपाई के 15 दिन के बाद वर्मी वाश का प्रयोग किया जाता है.
सिंचाई
रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करे अगेती फसल में बाद में 1 हफ्ते के के अंतर से सिंचाई करे. यह ध्यान रहे की फूल निर्माण के समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण
इसकी फसल के साथ उगे खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकता अनुसार निराई- गुड़ाई करते रहे, क्योंकि फूलगोभी उथली जड़ वाली फसल है.इसलिए उसकी निराई -गुड़ाई ज्यादा गहरी न करे और खरपतवारों को उखाड़ कर नष्ट कर दे.
कटाई
इसकी कटाई तब करे जब उसके फूल पूर्ण रूप से विकसित हो जाए, फूल ठोस और आकर्षक होने चाहिए.
उपज
फूलगोभी की उपज प्रति हेक्टेयर में 200-250 प्रति क्विंटल होती है.
अधिक जानकारी के लिए आप सम्पर्क कर सकते है "सोमानी सीड्स"
फ़ोन नंबर -0130-2367647
ई-मेल : [email protected]
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