चीन के वुहान शहर से आया कोरोना वायरस अब मछली पालकों को रूलाने लगा है. वैश्विक महामारी बन चुकी यह बीमारी अब मछली उद्योग को डुबाने पर आतुर है. इस समय हजारों मछली पालकों को भारी परेशानी हो रही है. लॉकडाउन के कारण न तो इन तक किसी तरह की मदद पहुंच पा रही है और न ही मछलियों के आहार का प्रबंध हो पा रहा है. ऐसे में इन्हें भविष्य डरावना लगने लगा है.
भोजन की हो रही है दिक्कत
लॉकडाउन के कारण छोटे मछली पालकों को आहार की समस्या होने लगी है. वहीं इनकी देखभाल में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यातायात और दुकानों के बंद होने के कारण पोटेशियम परेगनेट आदि उत्पाद नहीं मिल पा रहे हैं. इतना ही नहीं बीमार मछलियों के उपचार का भी कोई साधन नहीं है.
मछलियों के चकत्ते झड़ने लगने पर न तो सिल्वर नाइट्रेट उपलब्ध है और न ही ठंड, गैस और सिन्ड्रोम जैसे रोगों का कोई उपचार समझ आ रहा है. लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है. कई सर्वे में कहा गया है कि आने वाला समय मछली उद्योग के लिए अधिक कठिनाई भरा हो सकता है. वर्तमान में बाजार में अफवाहों का बाजार गर्म है, कोरोना की आशंका के कारण कोई मांस-मछली खाना अभी पसंद नहीं कर रहा है.
घाटे में चल रही है मछली कंपनियां
इस समय अधिकतर मछली कंपनियों की आय घटी है और भविष्य में हालात अधिक खराब होने का अंदेशा है, जिस कारण हजारों कर्मचारियों की नौकरी जाने का डर लगा हुआ है. ध्यान रहे कि अभी अधिकतर मछली कंपनियां 20 से 30 प्रतिशत घाटे में चल रही है.
लॉकडाउन का सबसे अधिक घाटा घरेलू कंपनियों को हुआ है. इस समय उनकी आमदनी और लाभ दोनों में गिरावट का दौर जारी है. आने वाले समय में 52 प्रतिशत तक नौकरियां कम हो सकती है.
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