प्याज की बढ़ती कीमत ने ग्राहकों की जेब पर खूब असर डाला है. इसकी कीमत ने घर की रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया था, लेकिन अब प्याज की कीमत लगातार गिरती जा रही है, जिससे किसानों को रोना पड़ रहा है. दरअसल, महाराष्ट्र के लासलगांव स्थित एशिया की प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी में बड़े पैमाने पर फसल आई है, जिसकी वजह से प्याज की कीमतों में तेजी से गिरावट देखने को मिली है. बाजार में लगभग 18,000 क्विंटल प्याज एक साथ पहुंची है, जिसके चलते प्याज की कीमत लगभग 2,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
किसानों की मांग
प्याज उत्पादक किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं, उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्याज की गिरती कीमतों को कोरने के लिए कोई कदम उठाया जाए. किसानों की मांग है कि स्टॉक की लिमिट खत्म और निर्यात पर लगे बैन को हटाया जाए. याद दिला दें कि सरकार ने प्याज के दामों में तेज इजाफे को रोकने के लिए स्टॉक की लिमिट तय कर दी थी, साथ ही इसके निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी थी, जिसके चलते महाराष्ट्र के लासलगांव की प्याज मंडी में दिसंबर में ही लगभग 8,625 रुपये क्विंटल तक प्याज की खरीद हुई थी, लेकिन अब बाजार में नई फसल आ गई है, फिर भी किसानों को उनकी उपज का महज 2,250 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दाम मिल रहा है. यही मुख्य वहज है कि किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. इसके लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र भी लिखा गया है.
कारोबारी नहीं खरीद पा रहे किसानों की फसल
बड़ी समस्या है कि दिसंबर के अंत में प्याज की बड़ी सप्लाई की गई, लेकिन फिर भी कारोबारी प्याज को स्टोर नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह सरकार की तरफ से स्टॉक की सीमा तय करना है.
रोजाना 25,000 क्विंटल प्याज आ रहा
इन दिनों एशिया की प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी और आसपास के इलाकों में प्याज ही प्याज दिख रहा है, लेकिन फिर भी किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. इसका कारण है कि रोजाना मंडी में 20 से 25 हजार क्विंटल तक प्याज आ रहा है. इसी वजह से प्याज की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है. इसके लिए केंद्र सरकार से भी बात की गई है.
सड़ रहा है विदेशों से आया प्याज
प्याज की बड़ी मात्रा सड़ रही है, क्योंकि पिछले दिनों खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने भी कहा था कि राज्य सरकारें आयातित प्याज अब और नहीं खरीदना चाहतीं हैं, जिसके बाद केवल 4 राज्यों ने कुल 36,000 टन आयातित प्याज में से 2,000 टन प्याज खरीदा है, बाकि प्याज सड़ने पर मजबूर है. ऐसे में कारोबारियों का मानना है कि अब भारत में प्याज की फसल आनी शुरू हो गई है, इसलिए ग्राहक विदेशी प्याज की जगह देसी फसल खरीदना चाहत हैं.
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