Weather Alert: आईएमडी यानी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार को अगस्त के महीने में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की है, लेकिन अगस्त-सितंबर की अवधि के दौरान 'सामान्य से अधिक' वर्षा की भी भविष्यवाणी की है, जो मानसून सीजन के अंतिम महीने में अधिक वर्षा होने का संकेत देता है. गौरतलब है कि मौसम के इस मिजाज से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, सितंबर माह के अंत में खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो जाती है. यदि ऐसे वक्त में बारिश होती है पककर तैयार फसलें खेतों में ही खराब हो सकती हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई में वास्तविक वर्षा और मानसून के मौसम की दूसरी छमाही के दौरान संभावित वर्षा के बारे में मीडिया को संबोधित करते हुए, आईएमडी के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा कि अगस्त-सितंबर 2024 के दौरान पूरे देश में वर्षा सामान्य से अधिक (दीर्घ अवधि औसत के 106 प्रतिशत से अधिक) होने की संभावना है. अगस्त से सितंबर की अवधि के लिए दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) 422.8 मिमी है.
कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश
हालांकि, उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई हिस्सों और पूर्वी भारत के आसपास के इलाकों, लद्दाख, सौराष्ट्र और कच्छ, तथा मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के कुछ अलग-अलग इलाकों में सामान्य से कम (एलपीए के 94 प्रतिशत से कम) बारिश हो सकती है.
गौरतलब है कि आईएमडी ने इस महीने के लिए अलग पूर्वानुमान जारी करते हुए भविष्यवाणी की है कि मध्य और उससे सटे उत्तरी प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिणी भागों, पूर्वी भारत के उत्तर-पूर्व और उससे सटे क्षेत्रों, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे देश में वर्षा "सामान्य" (एलपीए का 94 से 106 प्रतिशत) होगी.
सितंबर में अधिक बारिश की संभावना के बारे में पूछे जाने पर आईएमडी के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा कि अगस्त की तुलना में बारिश अधिक होने की संभावना है, क्योंकि ईएनएसओ (अल नीनो-दक्षिणी दोलन) तटस्थ स्थितियां ला नीना स्थितियों का स्थान ले रही हैं.
महापात्रा ने कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में वर्तमान में तटस्थ ईएनएसओ स्थितियाँ व्याप्त हैं और भारत के मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (एमएमसीएफएस) से संकेत मिलता है कि अगस्त के अंत में ला नीना विकसित होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि भारतीय महासागर डिपोल (आईओडी) की वर्तमान तटस्थ स्थितियाँ मानसून के मौसम के अंत तक जारी रहने की संभावना है.
वही जून-जुलाई के दौरान अखिल भारतीय वर्षा 453.8 मिमी हुई है, जो इस अवधि के लिए सामान्य मानी जाने वाली 445.8 मिमी से 1.8 प्रतिशत अधिक है.
महापात्रा ने कहा कि मध्य भारत मौसम विज्ञान उपखंड, जो कृषि के लिए मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर करता है, में लगातार तीसरे मानसून सत्र में अच्छी बारिश हो रही है, जिससे कपास, सोयाबीन और दलहन की फसल को विशेष रूप से लाभ मिलने की संभावना है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ था.
यद्यपि प्रमुख कृषि राज्यों में हरियाणा और पंजाब में वर्षा की भारी कमी रही है, लेकिन वर्तमान वर्षा तथा आगामी सप्ताहों में सामान्य वर्षा की संभावना से खरीफ फसलों को कोई खतरा नहीं होगा, क्योंकि इन राज्यों में ज्यादातर क्षेत्रफल सिंचित है.
'वायनाड' के लिए चेतावनी
इस बीच, केंद्र के इस बयान के बाद कि केरल को भारी वर्षा के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी गई थी, आईएमडी प्रमुख ने कहा कि मौसम ब्यूरो भारत के पश्चिमी तट पर महत्वपूर्ण वर्षा गतिविधि के लिए नियमित पूर्वानुमान जारी कर रहा है और 30 जुलाई की सुबह केरल के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया था.
मालूम हो कि केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को भूस्खलन हुआ था जिसमें 160 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी. गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा था कि केरल सरकार ने भारी बारिश के कारण वायनाड में संभावित प्राकृतिक आपदा के बारे में केंद्र की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि आईएमडी ने जिले के लिए केवल "ऑरेंज अलर्ट" जारी किया था.
विजयन ने कहा कि जिले में 572 मिमी से अधिक बारिश हुई है, जो आईएमडी द्वारा की गई भविष्यवाणी से काफी अधिक है. लेकिन, मोहपात्रा के अनुसार, 30 जुलाई की सुबह-सुबह एक रेड वार्निंग जारी की गई थी, जो बहुत भारी बारिश का संकेत देती है. 120 मिमी से 200 मिमी के बीच की वर्षा बहुत भारी श्रेणी में आती है.
आईएमडी प्रमुख ने कहा कि ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि “कार्रवाई के लिए तैयार रहें और रेड अलर्ट का इंतजार न करें.” उन्होंने कहा कि इसी तरह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए भी चेतावनी जारी की गई है.
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