मार्च-अप्रैल के दौरान देश भर में प्री-मॉनसून बारिश में 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले दो महीनों में लगभग 18 राज्यों में बारिश में भारी कमी देखी गई. इस अवधि के दौरान लगभग सभी दक्षिणी राज्यों में वर्षा की कमी देखी गई, जबकि मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में अत्यधिक बारिश हुई. वहीं, उत्तर-पश्चिम के अधिकांश राज्यों में सामान्य बारिश हुई, जबकि पूर्व और उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में कमी दर्ज की गई.
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण में कम बारिश की रिपोर्ट वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश (सामान्य से -78 प्रतिशत अधिक), तमिलनाडु (-83 प्रतिशत), केरल (-62 प्रतिशत), तेलंगाना (-58 प्रतिशत) और कर्नाटक (-53 प्रतिशत) शामिल हैं.
प्री-मानसून बारिश में कमी से क्षेत्र में जलवायु परिस्थितियों में वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें कई स्थानों पर गर्मी की लहरें और सामान्य से अधिक तापमान का स्तर देखा जा रहा है. इसके अलावा क्षेत्र के जलाशयों में भी हाल के सप्ताहों में भंडारण स्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है.
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बिजनेस लाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्री-मानसून बारिश में कमी से क्षेत्र में जलवायु परिस्थितियों में वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें कई स्थानों पर गर्मी की लहरें और सामान्य से अधिक तापमान का स्तर देखा जा रहा है.इसके अलावा क्षेत्र के जलाशयों में भी हाल के सप्ताहों में भंडारण स्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है.
उत्तर-पश्चिम भारत में, उत्तर प्रदेश में 17 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जबकि हरियाणा और पंजाब में क्रमशः 16 और 17 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. वहीं, राजस्थान में 34 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है. आईएमडी ने पूर्वानुमान लगाया है कि आने वाले वर्ष में देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जो लंबी अवधि के औसत 89 सेमी का 106 प्रतिशत होने का अनुमान है.
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