किसान भाइयों जलवायु एवं मौसम के हर वक्त बदलते रुख से किसानों को अवगत कराने एवं उसके अनुकूल खेती करने के लिए मध्य प्रदेश में नई पहल शुरु की जा रही है। यह सुविधा पर्यावरण नियोजन एवं समन्वयक संगठन ने प्रदेश के तीन जिलों में मौसम आधारित खेती करने के लिए तकरीबन 60 गाँवों को चयनित किया है। इसके अन्तर्गत किसानों को बीज, फसल एवं मिट्टी की उर्वरता की जानकारी आदि के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मुहिम में प्रदेश के सूखा, बाढ़ व अन्य विपदाग्रस्त इलाकों को भी शामिल किया गया है।
इस परियोजना के लिए नाबार्ड ने 24 करोड़ 27 लाख रुपए का बजट आवंटित किया है। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि यह परियोजना कृषि मंत्रालय को भी क्लाइमेट (जलवायु) जोन घोषित करने में मदद करेगा जिसके लिए वह पहले से प्रयासरत है।
ज्ञात हो कि बाढ़, सूखा जैसी विपदाओं से प्रदेश की विभिन्न क्षेत्रों में असमानता का सामना करना पड़ता है जिसके फलस्वरूप किसानों को कई तरीके की समस्याओं का सामना पड़ता है क्योंकि ऐसे इलाकों में कीट व मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होकर भिन्न हो जाती है। इस प्रकार दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा इन प्रभावित इलाकों में खासा नुकसान उठाना पड़ता है। जाहिर है कि फसल उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
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