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यदि गेहूं में हो रतुआ रोग तो करें ये उपाय... मौसम आधारित कृषि सलाह

मौसम के आधार पर अपनी फसल की सुरक्षा करना व मौसमानुसार फसल की बुवाई करना हर किसान की प्राथमिकता होती है।

मौसम के आधार पर अपनी फसल की सुरक्षा करना व मौसमानुसार फसल की बुवाई करना हर किसान की प्राथमिकता होती है। ऐसे में यदि किसानों को सही समय पर सलाह मिल जाए कि उन्हें आने वाले समय में क्या करना है क्या नहीं तो वे बेहतर उत्पादन के साथ कीटों की रोकथाम करने में भी सफल होते हैं और अपनी आय में इजाफा भी कर सकते हैं। यही कारण है कि कृषि जागरण भी आपको भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की ओर से आप किसान भाइयों को कुछ ऐसी ही सलाह देने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर न सिर्फ आप अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं बल्कि फसल की पोषण क्षमता व सही कीटनाशकों के उपयोग के बारे में भी जान सकते हैं।

- मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूँ की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लिटर पानी) का छिड़काव करें। पीला रतुआ के लिए 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है। 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के ऊपर रोग का फैलाव नहीं होता। भूरा रतुआ के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमीयुक्त जलवायु आवश्यक है। काला रतुआ के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान और नमी रहित जलवायु आवश्यक है।

- चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी हेतु फैरोमोन प्रपंच के 3-4 प्रपंच प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 20-25 प्रतिशत फूल खिल गये हों। टी अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं।

- इस सप्ताह तापमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई हेतु ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई हेतु खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें। बीज की मात्रा 10-15 कि.ग्रा./एकड़।

- रबी फसलों एवं सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि यह परागण में सहायता करती है। अतः जितना संभव हो मधुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें तथा दवाइयों का छिड़काव सर्दी के मौसम में सुबह या शाम के समय ही करें।

- तापमान को मद्देनजर रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि की बुवाई करें तथा टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों की तैयार पौधों की रोपाई कर सकते हैं। बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणित स्रोत से करें।

- मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि आलू में पछेता झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें तथा प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान की 2 ग्राम/लिटर मात्रा पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

- किसान एकल कटाई हेतु पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पी.ई.बी, एचएम-1) की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

- गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फैरोमोन प्रपंच के 3-4 प्रपंच प्रति एकड़ खेतों में लगाएं।

- मौसम को ध्यान में रखते हुए गाजर, मूली, चुकंदर और शलगम की फसल की निराई-गुड़ाई करें तथा चेंपा कीट की निगरानी करें।

- मटर की फसल में फली छेदक कीट तथा टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फैरोमोन प्रपंच के 3-4 प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट अधिक हों तो बी.टी. नियमन का छिड़काव करें।

- इस मौसम में गेंदे में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अतः किसान फसल की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लिटर अथवा इंडोफिल-एम 45 की 2.0 एम.एल/लिटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

- इस मौसम में मिली बग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेंगे, इसको रोकने हेतु किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 सेंमी चैड़ी अल्कालिन पट्टी लपेटें। तने के आसपास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जाएंगे।

डॉ. अनन्ता वशिष्ठ (नोडल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्

 

English Summary: Weather based farming advice Published on: 08 February 2018, 05:55 AM IST

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