मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल जिले की अमला तहसील के राहुल कुमार (Rahul Kumar) 'साहू सब्जी फार्म' (Sahu Sabji Farm) के मालिक हैं. वह खुद को 29 साल का छोटा जमींदार बताते हैं लेकिन इनके काम को जानकर आप इन्हें कई गुना बड़ा जमींदार समझेंगे. बता दें कि 22 साल की उम्र में इन्होंने 1 एकड़ में प्याज लगाकर खेती शुरू की, इसके बाद गोभी उगाई साथ ही अब यह जैविक सब्जियां उगाते हैं जिसमें बैंगन, टमाटर, गोभी और मटर शामिल हैं.
प्रारंभिक वर्षों में इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था. दरअसल, खेत में कम उत्पादन और बीमारी के कारण फसलों को नुकसान (Crop Damage) हुआ साथ ही अपर्याप्त भंडारण के चलते उन्हें सही मूल्य नहीं मिल पाया था. लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों में ऐसी कोई समस्या नहीं हुई. इनका मानना है कि अनुभव के साथ उन्होंने सीखा है कि समस्याओं को कैसे हल किया जाए और उनसे कैसे बचा जाए.
राहुल का कहना है कि "सब्जियों के भाव में उतार-चढ़ाव होता रहता है, भले ही आपको कम आय हो, लेकिन आपको इन वस्तुओं की खेती बंद नहीं करनी चाहिए. आय के मामले में इनकम कम हो सकती है लेकिन बेहतर अवधि भी होगी. आपकी खेती पर इस उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होनी चाहिए और आपको गुणवत्ता वाली फसलों के उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए".
बता दें कि कृषि जागरण की टीम जब उनके पास इंटरव्यू लेने पहुंची तो एक उदाहरण के रूप में वह अपनी गोभी की फसल का चयन करते हैं जिसमें वह बताते हैं कि मैंने कई बार अपनी गोभी (Cauliflower Farming) को ख़राब होते हुए देखा है और अच्छा मूल्य ना मिलने पर मुझे कोई निराशा नहीं हुई क्योंकि किसान के जीवन में थोड़ा बहुत उतर चढ़ाव तो बना रहता है लेकिन एक समय आया जब मुझे इसकी खेती ने काफी मुनाफा दिया जिसने मेरा पिछला नुकसान कवर कर लिया.
बता दें कि लगातार 2 से 3 नुकसान किसानों को निराश करते हैं और हताशा में वे दूसरी फसलों की ओर रुख करते हैं. वह इन किसानों को सलाह देते हैं कि वे हार न मानें और अपनी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करें. उन्होंने कहा कि आप अपने उत्पाद में सुधार करके और इसे समझदारी से मार्केटिंग करके अपने हर पैसे के नुकसान को कवर करने में सक्षम होंगे.
उन्होंने कहा कि अगर आपने नई फसल की खेती की है या अभी खेती शुरू की है तो छोटे पैमाने पर खेती करें. अगर आपकी फसलें ही सफल होती हैं तो धीरे-धीरे उस पैमाने को बढ़ाएं जिस पर आप खेती कर रहे हैं. यदि आप शुरुआत में भारी निवेश करते हैं, तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है जिसकी भरपाई करना आपके लिए मुश्किल होगा, इसलिए सोच-समझकर निवेश करें.
इसके बाद उन्होंने किसानों को सलाह दी कि उनको ड्रिप और मल्चिंग (Drip and Mulching) से आधुनिक तरीके से खेती करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि खेती के तरीके हमें हमारे पूर्वजों ने दिए हैं, हालांकि जरूरी नहीं कि पीढ़ी दर पीढ़ी उसे ही अपनाया जाए, क्योंकि समय के साथ मौसम में बदलाव तो हुआ ही है साथ ही खेती करने के तरीकों में भी बदलाव आए हैं. राहुल का मानना है कि ऐसा कोई निश्चित समय या चक्र नहीं है जिसका पालन करने पर आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे. आपको व्यावहारिक होना चाहिए, अनुभव के माध्यम से सीखना चाहिए और किसी भी स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जिस तरह हम सूर्योदय से सूर्यास्त तक अपनी दैनिक गतिविधियों की योजना बनाते हैं, उसी के अनुसार आपको अपनी खेती की योजना बनानी चाहिए. कब बोना है, कब सिंचाई करनी है, कब छिड़काव करना है, कब कटाई करनी है, यह सब पूर्व नियोजित होना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि किस दिन क्या करना है. एक किसान के रूप में सुधार करने के लिए आपको ध्यान केंद्रित करना होगा और कड़ी मेहनत करनी होगी. आपको अपने पौधों की स्थितियों और आवश्यकताओं का पालन करने के लिए उन पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी.
राहुल ने कहा कि इन पौधों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, जिस तरह से वे बीज से उगते हैं, जिस तरह से वे फूलते हैं, इसलिए आपको उन्हें बहुत ध्यान से देखना चाहिए. एक किसान के रूप में आपका दिन शाम के 6 बजे नहीं रुकता है, सूर्यास्त के बाद आपको उन कीड़ों या अन्य चीजों को देखना होगा जो आपके सावधानीपूर्वक बोए गए और बढ़ते पौधों को प्रभावित कर रहे हैं. ऐसी चीजें हैं जो आप दिन में नहीं देख पाएंगे. आप समय और अनुभव के साथ सीखेंगे.
राहुल किसानों को सुझाव देते हैं कि उन्हें लाभ या हानि की चिंता नहीं करनी चाहिए और केवल अपनी फसलों की देखभाल करनी चाहिए साथ ही गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन करना चाहिए. कड़ी मेहनत हमेशा अच्छा भुगतान करती है इसलिए भले ही आप 25,000 रुपये का निवेश करें और 2 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेच दें, फिर भी आपको अपना पैसा आज नहीं तो कल वापस मिल जाएगा वो भी अच्छे खासे मुनाफे के साथ.
आखिर में हम आपको बताना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को 'जीरो बजट खेती' पर एक सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जिसमें राज्य सरकारें भी भाग लेने वाली हैं. इस सम्मलेन का उद्देश्य जीरो बजट फार्मिंग/जैविक खेती के प्रति लोगों को जागरूक करना और बढ़ावा देना है. यह परियोजना 9,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरी हुई है, जिसमें से पिछले चार वर्षों में 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया था.
क्या है जीरो बजट फार्मिंग
यह एक तरह की प्राकर्तिक खेती (Natural farming) है. इस खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों जैसे जेहरीले प्रदार्थ से बचा जाता है. इस खेती में ज्यादातर गाय के गोबर और गौमूत्र (cow dung and urine) से खेती की जाती है.
किसानों को मिल रही मदद
केंद्र परंपरागत कृषि विकास योजना (Kendra Paramparagat Krishi Vikas Yojana) और पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा है. लगातार तीन वर्षों तक किसानों को बीज, जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक, जैविक खाद और खाद/वर्मी-कम्पोस्ट जैसे इनपुट लागतों को पूरा करने के लिए PKVY के तहत कुल ₹31,000/हेक्टेयर मिलता है.
Share your comments