महिला की ताकत और शक्ति का अनुमान लगा पाना असंभव है और यदि ये एक बार कुछ ठान लें, तो उसको पूरा करने के लिए पूरी हिम्मत जुटा लेती हैं. ऐसा ही एक उदाहरण महाराष्ट्र की रहने वाली एक महिला किसान ने भी दिया है जिनका नाम संगीता पिंगले (Sangeeta Pingle, Woman Farmer, Maharashtra) है. बता दें कि यह नासिक के मटोरी गांव में रहती हैं.
जीवन की दास्तां
इनकी शुरुआती कहानी काफी दुखभरी है, क्योंकि संगीता ने 2004 में अपने पति को एक रोड एक्सीडेंट में खो दिया था. इस समय इनके तीन बच्चे थे और 9 महीने की गर्भवती भी थीं. इनको लग रहा था कि यह पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं, लेकिन इनके ससुराल और परिवार ने कई साल तक इनका साथ दिया.
कुछ समय बाद पारिवारिक झगड़े के चलते यह अपने बच्चों को लेकर ससुराल वालों के साथ ही रहने लगीं, जिसके कुछ समय बाद इनके ससुर का भी निधन हो गया. इनके ससुर के पास 13 एकड़ ज़मीन थी, जिसकी एकमात्र संरक्षक संगीता ही बची थीं.
खेती करने का लिया फैसला
इनकी रोज़ी-रोटी का साधन अब यही ज़मीन थी, जिसके चलते उन्हें यह सीखना पड़ा कि खेत में काम कैसे किया जाता है. जैसे ही इन्होंने यह फैसला लिया उसके तुरंत बाद ही इनके आसपास और रिश्तेदार वालों ने यह कहना शुरू कर दिया कि इतना बड़ा खेत, बच्चों और घर के कामों को एक अकेली महिला कैसे संभाल पाएगी.
जिसके बाद इन्होंने ठानी की खेती के क्षेत्र (Women in Farming) में एक महिला भी अपना कमाल दिखा सकती है. संगीता का यह मानना था कि अगर मेहनत और लगन होती है, तो किसी भी काम को करना उतना ही आसान हो जाता है और कामयाबी अपने घुटने टेक देती है.
कैसे हुई खेती की शुरुआत
13 एकड़ ज़मीन पर अपनी खेती को अंजाम देने के लिए शुरुआती दौर में संगीता ने अपने गहनों को गिरवी रख कर्ज लिया. साथ ही, पैसों की कमी को पूरी करने के लिए इन्होंने अपने चचेरे भाइयों से भी उधार लिया.
बता दें कि इनके भाइयों ने खेती में इनकी काफी मदद की और पूरा मार्गदर्शन किया कि खेती किस तरह से की जाती है, इसकी प्रक्रिया क्या है, इसमें किस तरह से खाद डालनी है, फसलों पर कीटों के प्रकोप को कैसे रोका जाता है और किस समय पर कौन से रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. एक साइंस स्टूडेंट होने के नाते इन्होंने यह सब बहुत तेज़ी से सीखा.
किन दिक्कतों का करना पड़ा सामना
खेती के दौरान इन्होंने यह महसूस किया कि खेती में कुछ काम सिर्फ पुरुष ही संभालते हैं. इसमें ट्रैक्टर से जुताई करने से लेकर कृषि उपकरणों (Farm Machinery) की मरम्मत, कृषि तकनीकों का इस्तेमाल आदि शामिल हैं. सबसे बड़ी समस्या अपनी पैदावार को बाज़ार तक ले जाने और उसे बेचने में हैं.
इन्हें एक अकेली महिला होने के नाते कृषि क्षेत्र से इसके विपणन के सभी काम खुद ही करने थे और इन्हें इतनी भूमिकाएं संभालने के लिए किसी भी तरह का को समर्थन प्राप्त नहीं था, इसलिए मैंने ट्रैक्टर (Tractor) और टू-व्हीलर वाहन (Two Wheeler) चलाना सीखा और ट्रैक्टर की मरम्मत करना भी सीखा, ताकि आगे चलकर किसी तरह की कोई परेशानी ना झेलनी पड़े और दूसरों का सहारा ना लेना पड़े.
टमाटर और अंगूर की खेती से लाखों का मुनाफा
संगीता ने विज्ञान क्षेत्र में स्नातक की हुई है और आज यह अपने 13 एकड़ खेत पर जबरदस्त तरह से टमाटर और अंगूर की खेती (Tomato and Grapes Farming) कर रही हैं. यह सब कर के उन्होंने अपने ऊपर होने वाली आलोचनाओं को ग़लत साबित कर दिखाया है और वर्तमान समय में वो अपने खेत की उपज से लाखों का मुनाफा कमा रही हैं.
अंगूरों से लाखों की कमाई
हौले-हौले संगीता ने अपने आप को तराशा और प्रति वर्ष 800 से 1000 टन अंगूर की पैदावार (Grapes Production) ले रही हैं और उससे करीब 30 लाख रुपए का मुनाफा कमा रही हैं. इन्हें शुरुआत में छोटे पैमाने पर टमाटर की खेती (Cultivation of Tomato) में कुछ नुकसान जरूर झेलना पड़ा था, लेकिन उसकी भरपाई धीरे-धीरे होती चली गई.
अंगूरों के निर्यात की बनाई योजना
खेती में समय के साथ महारथ हासिल करने के बाद संगीता ने अपनी आय में वृद्धि करने के लिए निर्यात का फैसला लिया. अंगूरों की निर्यात योजना (Export of Grapes) बनाते हुए इन्होंने इसपर अमल करने के लिए कोशिश शुरू कर दी. फ़िलहाल बेमौसम बारिश के चलते अपनी लक्ष्य पूरा होने के लिए थोड़ा विराम दिया है, लेकिन इन्हें यह विश्वास है कि आने वाले सीज़न में सफलता जरूर मिलेगी.
वन वुमैन आर्मी से कम नहीं है संगीता
संगीता बताती हैं कि उन्हें अपने आप पर गर्व है कि इतनी अड़चनों के बाद भी उन्होंने अपने मुकाम को हासिल किया और जिन लोगों ने भी उनपर उंगली उठाई उसको गलत साबित किया. उनका मानना है कि वो अभी भी सीख रही हैं और खुद को जितना परिपक्व कर सके उतना कर रही हैं.
संगीता का कहना है कि उन्हें खेती से बहुत कुछ सीखा ख़ासकर लगन और धैर्य. उन्हें ख़ुशी है कि उन्होंने अपने सामने आने वाली हर बाधाओं को सकारात्मक तरह से पार किया और अपनी मेहनत, संकल्प और प्रयास हर वो चीज़ें संभव बनाई, जो एक महिला के लिए कृषि क्षेत्र में असंभव मानी जाती हैं.
संगीता की कड़ी मेहनत के बलबूते का सबूत उनके बच्चों की अच्छी एजुकेशन (Education) है. वर्तमान समय में, सगीता की एक बेटी स्नातक की पढ़ाई कर रही है और बेटा स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा है.
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