भारत में कृषि विकास में किसानों के साथ आमजन भी बखूबी साथ दे रहे हैं. इन दिनों लोगों की कृषि के प्रति रूचि बढ़ते ही जा रही है, जिसके चलते लोग अपना व्यावसाय, नौकरी को छोड़कर कृषि में अपना योगदान दे रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम ऐसे ही एक दंपत्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अमेरिका में काफी अच्छी नौकरी को त्याग कर वापिस भारत आकर जैविक खेती शुरू की.
विदेश की नौकरी छोड़ भारत में कृषि को अपनाया.
अमेरिका में अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ने वाले तकनीकी विशेषज्ञ अर्पित माहेश्वरी और साक्षी भाटिया ने मध्य प्रदेश में 1.5 एकड़ का प्लॉट खरीदा. फिर वहां पर खेती शुरू की. बता दें कि अर्पित माहेश्वरी ने वर्ष 2010 में आईआईटी बॉम्बे से स्नातक की डिग्री हासिल की, उनका कहना है कि अमेरिका में जीवन के अधिक आयाम नहीं थे, जिस कारण वह प्रकृति से काफी अलग महसूस करते थे, लेकिन अब खेती से जुड़ने के बाद वह फिर से प्रकृति के साथ जुड़ रहे हैं.
साक्षी भाटिया ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि, "हमारा मकसद सिर्फ प्रकृति का पता लगाना और उसमें बहुत समय बिताना था क्योंकि हम इसके लिए तरस रहे थे. वहां हमें पता चला कि मनुष्य किस तरह से पर्यावरण का दोहन कर रहे हैं. फिर भारत लौटने और प्रकृति के साथ काम करने की गहरी इच्छा थी."
इसलिए दंपत्ति ने 2018 में उज्जैन के बाहरी इलाके में जमीन का एक हिस्सा खरीदा और एक वैकल्पिक जीवन शैली जीने का फैसला किया. इसके बाद माहेश्वरी और भाटिया ने तब पर्माकल्चर और जैविक खेती करनी शुरू की.
खेती के साथ लोगों को भी कर रहे आमंत्रित
भाटिया और महेश्वरी के फार्म में कई तरह के फल और सब्जियां उगाई जा रही हैं. जिससे उनकी अधिकांश जरूरते भी पूरी हो रही हैं. दंपत्ति लोगों को खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने साथ समय बिताने के लिए आमंत्रित भी करते हैं. जिसके चलते कई लोग उनके फार्म में आकर एक सप्ताह से लेकर 10 दिनों तक रहते हैं और खेती के प्रति जागरूक होते हैं.
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दंपत्ति मिट्टी के घर में रहते हैं
बता दें कि दंपत्ति ने भारत आकर अपने लिए एक मिट्टी का घर बनाया, उनका कहना था कि यह कार्य सबसे चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि घर बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेत और मिट्टी जमीन से ली गई और 45-50 दिनों तक हर दिन मिट्टी को तराशने और उससे दीवारें बनाने का काम किया. अब वह मिट्टी से बने इस घर में ही रहते हैं.
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