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तेलंगना के इस किसान ने ड्रीम सीडर से की धान की खेती, लोगों के लिए बन रहे प्रेरणा

एक तरफ किसान मौसम की अनियमितता से परेशान रहते हैं, तो वहीँ कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो कि खेती में नए तरीको को अपनाकर मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा ही कुछ तेलंगाना के सुर्यापेट के रहने वाले माधव रेड्डी ने कर दिखाया है. तो आइये उनकी सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं.

स्वाति राव
Black Rice,
Black Rice

एक तरफ किसान मौसम की अनियमितता से परेशान रहते हैं, तो वहीँ कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो कि खेती में नए तरीको को अपनाकर मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा ही कुछ तेलंगाना के सुर्यापेट के रहने वाले माधव रेड्डी ने कर दिखाया है. तो आइये उनकी सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं.

दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान लगभग सभी लोग को अपने घर से काम करने की अनुमति मिल गयी थी. इसी कड़ी में तेलंगना के माधव रेड्डी (Madhav Reddy of Telangana) ने वर्क फ्रॉम करने के साथ – साथ अपना रुझान खेती की तरफ भी बढ़ाया है, जो आज के समय में लोगों के लिए एक मिसाल बन रहे हैं. 

आपको बता दें कि माधव रेड्डी भी पेशे से तकनीकी विशेषज्ञ है, जिन्होंने अपने गांव अथमकुर में आधुनिक और लाभ आधारित खेती का मॉडल डेवलप किया है. मिली जानकारी के अनुसार, माधव जी करीब एक साल से बेंगलुरु में आईसीटी इंफोटेक के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन खेती के प्रति लगाव होने की वजह से उन्होंने अपने दफ्तर का काम करने के साथ – साथ खेती का  कार्य  भी शुरू किया.

उनका कहना है कि उनके पास अपनी पुश्तैनी 10 एकड़ जमीन थी, जिसमें उन्होंने खेती का कार्य शुरू किया है. उन्होंने अपने खेत में काले चावल की खेती (Black Rice Cultivation) के साथ ही ड्रीम सीडर की मदद से धान की खेती की. इस नयी तकनीक के लिए लोगों को जागरूक भी किया.

ये खबर भी पढ़ें:धान की खेती की पूरी जानकारी, उन्नत किस्मों से लेकर ज्यादा उत्पादन कैसे प्राप्त करें

क्या कहना है माधव का (What Does Madhav Have To Say?)

माधव का कहना है कि उन्हें कृषि से बहुत प्यार है. उन्होंने कम उम्र में ही खेती से जुड़े कार्य जैसे खेतों को समतल करना, बुवाई, उर्वरकों का छिड़काव और अन्य कार्यों सहित कृषि पद्धतियों को सीख लिया था. इसलिए उन्होंने वर्क फ्रॉम होम के साथ खेती के कार्य करने का निर्णय लिया.

ड्रीम सीडर के फायदे (Benefits of Dream Seeder)

  • ड्रम सीडर के उपयोग से धान की खेती की लागत 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कम हो जाती है.

  • नर्सरी प्रत्यारोपण विधि के माध्यम से खेती की तुलना में फसल की उपज में 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है.

  • इस विधि से समय की बचत होती है और धान की नर्सरी से रोपाई की पारंपरिक विधि की तुलना में आवश्यक जनशक्ति कम होती है, जिससे खेती की लागत कम होती है.

English Summary: Telangana farmer cultivates paddy with dream seeder Published on: 28 December 2021, 02:56 PM IST

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