मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के आदिवासी अंचल से एक सफल किसान की कहानी सामने आई है. यह कहानी एक शिक्षक की है, जिसने अपने बेटे के साथ मिलकर लॉकडाउन में बंद स्कूल की अवधि का पूरा फायदा उठाया है. इस शिक्षक ने सिर्फ डेढ़ हेक्टेयर खेत में जैविक खेती से सब्जियां उगाईं और लगभग 40 हजार रुपए की कमाई की है. खास बात है कि इसमें सिर्फ 1 हजार की लागत लगी है.
जैविक खेती ने बनाया सफल
शिक्षक गोविंद सिंह रतलाम जिले के गांव नरसिंह नाका में प्राथमिक स्कूल में पढ़ाते हैं, जो कि आदिवासी अंचल का छोटा सा गांव है. जब लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद हो गए, तो उन्होंने जैविक खेती करने का विचार बनाया. इसमें उनके बेटे मनोज ने भी बखूबी साथ दिया. आज शिक्षक से पास किसान जैविक खेती के गुर सीखने आते हैं. इसके साथ ही सब्जी खरीदने के लिए भी लोग पहुंच रहे हैं. शिक्षक किसान ने जैविक खेती के विषय में केवल सुना था, लेकिन कभी उन्हें खेती करने का मौका नहीं मिला. मगर लॉकडाउन की वजह से उन्हें एक अवसर प्रदान हुआ, जिसका फायदा उठाते हुए जैविक खेती करने का मन बना लिया.
यूट्यूब और गूगल से जुटाई जानकारी
शिक्षक किसान ने अपने बेटे के साथ मिलकर यूट्यूब और गूगल पर जैविक खेती की जानकारी ली. इसके बाद अपने खेत में लौकी, करेला समेत अन्य सब्जियां उगाई. इसमें जैविक खाद का उपयोग किया, जिससे सब्जियों की खेती खूब लहलहा उठी.
वीडियो देखकर बनाई जैविक खाद
यूट्यूब पर राष्ट्रीय जैविक खेती अनुसंधान केंद्र, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिकों का वीडियो देखा, जिसमें उन्होंने मात्र 20 रुपए की एक छोटी सी डिब्बी और प्रति 100 लीटर पानी में 1 किलो गुड़ से रासायनिक खाद और कीटनाशक बनाने का तरीका बताया था. शिक्षक किसान ने इस तरीके को अपनाकर फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त की है. इसमें बेटे का भी पूरा सहयोग मिला है. उनका उद्देश्य है कि अधिक से अधिक किसान इस खेती को अपनाएं औऱ अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाएं.
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जैविक खेती से मुनाफ़ा
शिक्षक किसान को सब्जियों की फसल बेचने के लिए आदिवासी अंचल से ऱतलाम जाना पड़ता था, लेकिन कुछ समय बाद सब्जी व्यापारी उनके खेत से ही सब्जियां खरीदने लगे. किसान का कहना है कि अप्रैल से यह काम शुरू हुआ था, जिससे अब वह 40 हजार रुपए की कमाई कर रहे हैं. अब उनके खेत में ककड़ी, लौकी, तुरई, गिलकी की सब्जियों की फसल लगी है. पिता औऱ पुत्र, दोनों मिलकर जैविक खेती में ही लगे रहते हैं.
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