आकाश चौरसिया आज देश में काफी चर्चित नाम है या यूं कहें कि वे मल्टी लेयर फार्मिंग का एक ब्रांड बन चुके हैं. उनकी बताई तकनीक अपनाकर किसान सीमित जमीन के टुकड़े से भी चार से पांच लाख रुपये सालाना आसानी से कमा सकते हैं.
कौन हैं आकाश चौरसिया
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सागर जिले में रहने वाले आकाश न केवल मल्टीलेयर फार्मिंग को सफलतापूर्वक अपना चुके हैं बल्कि वे किसान भाइयों को इसका विधिवत प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. आकाश ने आज सर्वाधिक चर्चित ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming) को अपनाते हुए उसके साथ मल्टी लेयर फार्मिंग (multilayer farming) को भी जोड़ दिया है. इस तकनीक को अपनाकर उन्होंने ना सिर्फ खेती को हानिकारक कीटनाशकों से मुक्त किया बल्कि इसे मुनाफे (profit) का सौदा भी बना दिया.
क्या है मल्टी लेयर फार्मिंग
मल्टी लेयर फार्मिंग को हम इस तरह से समझ सकते हैं जैसे शहर में एक सीमित जमीन के टुकड़े पर बना हुआ बहुमंजिला घर. खेती के इस स्वरूप के अंतर्गत किसान एक खेत में चार से पांच फसलों की खेती सफलतापूर्वक कर सकता है.
कैसे की जाती है बहुपरती कृषि
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इसमें पहली लेयर जमीन के भीतर होती है जिसमें जमीकंद की खेती की जाती है जैसे अदरक या हल्दी की.
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दूसरी लेयर में जमीन पर पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक -मेथी उगाई जा सकती है.
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तीसरी लेयर में पपीता जैसे छायादार और फलदार पेड़ लगाए जा सकते हैं.
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चौथी लेयर में क्यारियों को भी खाली नहीं छोड़ा जाता. खेत की मेड़ पर बांस या तंबू के सहारे करेला या कुंदरू की खेती की जा सकती है.
किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है बहुपरतीय कृषि
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कहने का अर्थ यह है कि इस तकनीक को अपनाकर किसान अपनी सीमित भूमि में एक से ज्यादा फसलें उगा सकता है.
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कहा जा रहा है कि खेती का यह मॉडल छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान की तरह है क्योंकि उनके पास जमीन की मात्रा बहुत कम होती है और उन्हें खेती से जोड़े रखने के लिए बहुत जरूरी है कि वे कम लागत में ज्यादा उत्पादन ले सकें.
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मल्टी लेयर फार्मिंग की ये तकनीक खेती की ओर कम हो रहे रुझान को फिर से खेती की ओर मोड़ सकती है।
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मल्टी लेयर फार्मिंग की खासियत यह है कि जमीन के अंदर वाली फसल को ज्यादा धूप नहीं लगती और दूसरी परत वाली फसल को कटाई करने के बजाए सीधे उखाडा जा सकता है. इससे जमीन कंद वाली फसलों की निराई गुड़ाई भी अपने आप ही हो जाती है.
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इस तरह की खेती में खरपतवारों के उगने की गुंजाइश बहुत कम होती है.
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वे बताते हैं कि इस विधि से उनकी लागत 4 गुना कम और मुनाफा 6 से 8 गुना तक बढ़ सकता है.
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अगर किसान खेत में एक साथ कई फसलों की खेती करता है, तो फसलों को एक-दूसरे से पोषक तत्व मिल जाते हैं. इस तरह भूमि उपजाऊ भी बनती है, साथ ही पानी और खाद की बचत होती है.
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इसमें जैविक खाद का उपयोग होता है जिससे किसानों की लागत भी कम आती है और फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है इस तरह की विधि में स्वाभाविक रूप से 70% तक पानी बचाया जा सकता है.
सहफसली खेती की तरह ही है यह तकनीक
आकाश के अनुसार यह तकनीक उसी तरह की है जैसे एक खेत में कई फसलों की खेती करना, यानी को क्रॉप फार्मिंग
किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं आकाश
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आकाश चौरसिया ने इस कला को स्वयं तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि उन्होंने इसे शिक्षण की एक पद्धति का रूप दे दिया है.
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वे न सिर्फ मल्टीलेयर फार्मिंग करते हैं बल्कि उन्होंने दूसरे किसानों को भी इसका विधिवत प्रशिक्षण देकर निपुण बनाने का काम किया है. वे हर महीने की 27-28 तारीख को निशुल्क ट्रेनिंग शिविर आयोजित कर किसानों को प्रशिक्षण देते हैं.
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उन्होंने बहुत से युवाओं को मल्टी लेयर फार्मिंग से जोड़ लिया है और हजारों एकड़ खेती जैविक पद्धति को अपनाकर की जा रही है. युवाओं को अधिकाधिक कृषि से जोड़ने और कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के कारण आकाश को कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.
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