किसी भी किसान के लिए यह महत्वपूर्ण होता है कि वे अपनी खेती की क्षमता का पूरा उपयोग करें और समय के साथ नई तकनीकों को अपनाएं. उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के प्रगतिशील किसान शरद कुमार सिंह ने इसका बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. 40 एकड़ की जमीन के मालिक शरद कुमार सिंह ने साल 1991 में कृषि क्षेत्र में कदम रखा था और शुरुआती दौर में धान, गेहूं और गन्ना जैसी पारंपरिक फसलों की खेती की.
मगर, बदलते समय और बाजार की मांग को देखते हुए उन्होंने खेती में विविधता लाने का निर्णय लिया और पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) में कदम रखा. आज वे हाईटेक पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) के माध्यम से एक सफल किसान के रूप में स्थापित हो चुके हैं, और उनकी सालाना आमदनी 20 लाख रुपये से भी अधिक है.
पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) का सफर
प्रगतिशील किसान शरद कुमार सिंह ने पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming)के क्षेत्र में 18 साल पहले कदम रखा. शुरू से ही उन्होंने इसे एक संगठित और तकनीकी तरीके से करना शुरू किया. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के बरेली और इज्जतनगर से पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) की ट्रेनिंग ली. वे अपने पोल्ट्री फार्म में मुख्य रूप से ब्रॉयलर मुर्गियों का पालन करते हैं और इस काम को कॉन्ट्रैक्ट पर करते हैं.
इसमें कंपनी फीड, चूजे, वैक्सीनेशन, और अन्य तकनीकी सलाह उपलब्ध कराती है, जबकि किसान का काम केवल शेड और मुर्गियों की देखभाल करना होता है. यह मॉडल न केवल सुविधाजनक है, बल्कि इसमें आर्थिक स्थिरता भी मिलती है.
पोल्ट्री फार्म का ढांचा और व्यवस्था
शरद कुमार सिंह के पोल्ट्री फार्म में करीब 12,000 मुर्गियां हैं. उन्होंने एक हाईटेक पोल्ट्री फार्म बनाया है जिसमें हर मुर्गी को लगभग 1 स्क्वायर फीट जगह मिलती है. उनके शेड को पूर्व-पश्चिम दिशा में बनवाया गया है ताकि सूर्य की तेज किरणें सीधे न आएं और साथ ही वेंटिलेशन का अच्छा प्रबंध रहे.
यह संरचना मुर्गियों की सेहत के लिए अनुकूल है और उन्हें प्राकृतिक बीमारियों से भी बचाती है. उनके शेड की कुल लागत लगभग 40 लाख रुपये आई है, लेकिन इसमें उन्होंने किसी सरकारी सब्सिडी का लाभ नहीं उठाया, क्योंकि सब्सिडी मुख्य रूप से लेयर मुर्गी पालन पर मिलती है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल और आय
शरद कुमार सिंह का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल काफी सफल साबित हुआ है. कंपनी मुर्गियों को 2 किलो के होने के बाद उनसे ले लेती है, जिसमें लगभग 40 दिन का समय लगता है. इसके एवज में शरद कुमार को प्रति किलो के हिसाब से 9 से 14 रुपये तक की दर पर भुगतान किया जाता है. एक मुर्गी अपने जीवनकाल में करीब 2 किलो भोजन करती है, जो मौसम के अनुसार दिया जाता है. साल में वे 6 बार मुर्गियों को बेचते हैं, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त होती रहती है.
इस मॉडल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शरद कुमार को बाजार में मुर्गियों को बेचने की चिंता नहीं करनी पड़ती. कंपनी द्वारा वैक्सीनेशन और फीड की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है, जिससे मुर्गियां बीमार नहीं होतीं और उनकी बढ़वार में रुकावट नहीं आती. इससे उनकी उत्पादन लागत में भी कमी आती है और लाभ का अनुपात बढ़ता है.
किसानों के लिए प्रेरणादायक कदम
शरद कुमार सिंह के अनुसार, पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming)के व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए सही दिशा में योजना बनाना जरूरी है. वे अन्य किसानों को भी सलाह देते हैं कि वे पोल्ट्री शेड का निर्माण इस प्रकार करें कि सूर्य की किरणों से बचाव हो और हवा का सही प्रवाह बना रहे. यह मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है और बीमारियों का खतरा कम करता है.
उन्होंने यह भी पाया कि पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming)एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें प्रशिक्षण और सही तकनीकी जानकारी होने पर अच्छी कमाई की जा सकती है. उनके पास डेयरी फार्मिंग और मशरूम फार्मिंग का भी अनुभव है, मगर पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming)उनकी प्रमुख आय का स्रोत बन चुकी है. उनका मानना है कि भविष्य में किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवसायों पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इससे आय के स्रोत बढ़ते हैं और जोखिम कम होता है.
वार्षिक आमदनी और भविष्य की योजनाएं
शरद कुमार सिंह की सालाना आमदनी 20 लाख रुपये से भी अधिक है. उनका मानना है कि आने वाले समय में वे अपनी पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) को और विस्तार देंगे और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करेंगे. वे अपने अनुभवों से अन्य किसानों को भी यह सिखा रहे हैं कि कैसे मुर्गी पालन को एक लाभकारी व्यवसाय बनाया जा सकता है.
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