Success story: मौजदा वक्त में हमारे देश में बहुत सारे ऐसे किसान हैं, जो आधुनिक तरीके से खेती, बागवानी, डेयरी फार्मिंग और पोल्ट्री फार्मिंग कर शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. उन्हीं किसानों में से एक प्रगतिशील किसान ऋतुराज सिंह भी हैं. ऋतुराज सिंह उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के उमरी गांव के रहने वाले हैं. खेती की शुरुआत करने से पहले वह एक इंजीनियर थे. ऋतुराज सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब 15 साल तक नौकरी की और फिर खेती में अपना हाथ आजमाया. उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत तब हुई जब कोरोना काल में उन्हें अपना गांव आना पड़ा था. तब लॉकडाउन के चलते वे 4 महीने तक गांव में फंस गए थे.
पहले से ही था खेती-बाड़ी से लगाव
उन्होंने बताया कि उनका पुश्तैनी काम पहले से ही खेती-बाड़ी का था, जिस वजह से खेती से उनका गहरा लगाव था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनका खेती के प्रति रूझान और बढ़ा उन्होंने इसे एक व्यवसाय बनाने की सोची. उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम जो भी खा रहे हैं वो सब रासायनिक युक्त है. जिससे हमारा स्वास्थ्य खराब हो रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान उन्हे इस बात का एहसास हुए की लोग जो जहरीली चीजें खा रहे हैं, उससे उन्हें मुक्ति दिलानी चाहिए. इसी सोच के साथ उन्होंने जैविक खेती की शुरुआत की, ताकि लोगों को खाने में अच्छी चीजें परोसी जा सकें.
उन्होंने कहा कि वैसे तो उनका परिवार पहले से ही खेती करता आया है, लेकिन वह पिछले चार सालों से खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह 5 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं. जिसमें से 55 बीघा जमीन पर वह पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. वह मुख्यतौर पर गेहूं, धान, सरसो और गन्ने की खेती करते हैं, जो पूरी तरह से जैविक है. उन्होंने कहा कि वह इन्हीं से आगे गुड़, चीनी, सरसों का तेल जैसे उत्पाद बनाते हैं और फिर उसे अपने ब्रांड के नाम से बाजार में बेचते हैं. इसके अलावा, वह फल जैसे की ड्रैगन फ्रूट समेत कई तरह की सब्जियों का भी उत्पादन करते हैं.
आसान नहीं था खेती का सफर
उन्होंने कहा कि अपनी फसल और उत्पादों को लोकल मंडियों के जरिए ही बेचते हैं. हालांकि, ये सब इतना आसान नहीं है. शुरुआती समय में उन्हें अपने उत्पादों को बेचने को काफी दिक्कतें आईं. लेकिन उन्होंने ऐसे लोगों और विक्रेताओं से संपर्क किया जो इन उत्पादों की अहमीयत तो समझते थे. फिर धीरे-धीरे लोगों ने उनके उत्पाद इस्तेमाल करना शुरू किए और आज मार्केट में उनके उत्पाद काफी अच्छी तरह से बिक रहे हैं. लोग उनके उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं, क्योंकि ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छे हैं.
सालाना 20 लाख रुपये का मुनाफा
उन्होंने कहा कि रासायनिक और जैविक खेती के उत्पादों में लोग आसानी से अंतर पहचान सकते हैं. जैविक खेती के उत्पाद खाने में बेहद स्वादिष्ट होते हैं और यही वजह है की हमाले उत्पादों को लोगों को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. ऋतुराज सिंह ने बताया कि उन्होंने उमरी ऑर्गेनिक ऑरचड के नाम से अपना ब्रांड बना रखा है, जिसके जरिए वे अपने उत्पादों को बाजार में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि अपनी सभी फसलों के जरिए वह सालाना 15 से 20 लाख रुपये का मुनाफा कमा लेते हैं.
'जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान दें किसान'
कृषि जागरण के माध्यम से उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसानों को रासायनिक की जगह जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसके लिए किसान जमीन के छोड़े हिस्से से शुरू कर सकते हैं; और धीरे-धीरे रासायनिक खेती छोड़ पूरी तरह से जैविक खेती को अपना सकते हैं. हालांकि, इसमें थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन किसी भी अच्छी चीज में समय जरूर लगता है.रसायनों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरता आज बेहद खराब हो चुकी है. ऐसे में किसान जैविक खेती के जरिए इसे दोबारा से जीवित कर सकते हैं. उन्होंने कहा इससे हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
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