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एमबीए और इंजीनियरिंग करने के बाद शुरू की खेती 6 साल में टर्नओवर हो गया 11 करोड़ रूपये ...

जहां आज गांव के नौजवान खेती को छोडते जा रहें है वहीं उत्तर प्रदेश के दो भाईयों ने एमबीए और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद खेती-बाड़ी को अपना लिया है. 4 साल की मेहनत के बाद अब इनका 11 करोड़ का सालाना टर्नओवर है. दोनों भाइयों ने बातचीत में बताया कि 2011 में इन्हें जॉब के लिए 4 लाख का पैकेज मिला था. लेकिन ये बिजनेस करना चाहते थे, इसलिए इन्होंने टेक्नॉलजी के माध्यम से खेती करने की ठान ली.

KJ Staff
Success Story
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जहां आज गांव के नौजवान खेती को छोडते जा रहें है वहीं उत्तर प्रदेश के दो भाईयों ने एमबीए और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद खेती-बाड़ी को अपना लिया है. 4 साल की मेहनत के बाद अब इनका 11 करोड़ का सालाना टर्नओवर है. दोनों भाइयों ने बातचीत में बताया कि 2011 में इन्हें जॉब के लिए 4 लाख का पैकेज मिला था. लेकिन ये बिजनेस करना चाहते थे, इसलिए इन्होंने टेक्नॉलजी के माध्यम से खेती करने की ठान ली.

ऐसे आया खेती करने का ख्याल

लखनऊ के रहने वाले अभिषेक भट्ट कहते हैं, मेरे पिता की इंजीनियरिंग की नौकरी थी. इसलिए हम दोनों भाइयों को भी इसी फील्ड के लिए प्रोत्साहित किया गया. 2011 में मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डि‍ग्री हासिल की, जबकि भाई ने एमबीए कम्पलीट किया. पासआउट होते ही मुझे 4 लाख पैकेज की जॉब ऑफर हुई थी, लेकिन मैंने नहीं की. हम सिर्फ जॉब के भरोसे नहीं रहना चाहते थे. कुछ अलग करने की चाह थी.


एक बार मैं बैगलोर अपने अंकल के पास गया. उस वक्त वो किराए पर जमीन लेकर कैप्सकम यानी शि‍मला मिर्च की खेती करते थे. जिससे उनको लाखों की इनकम हो रही थी. वो देख मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि हमारे यहां लोगों के पास जमीन होने के बावजूद वो खेती नहीं करते. वहीं से मुझे खेती का ख्याल आया और हम दोनों भाइयों ने एग्रीकल्चर बिजनेस की बारीकियां सीखीं. इसके बाद हम अंकल के साथ महाराष्ट्र गए और वहां के किसानों के खेती करने का तरीका और उससे होने वाले बिजनेस को समझा.

वहां के किसानों की मार्केटिंग देख हमारे अंदर थोड़ा बहुत जो डर था, वो भी खत्म हो गया और हम अपनी तैयारी में जुट गए. मैंने टेक्निकल काम और खेती पर ध्यान दिया. भाई शशांक ने उसकी ब्रांडिग और मार्केटिंग पर काम किया.

बिजनेस पहुंचा सालाना 11 करोड़ टर्नओवर

साल 2011 में हमने 'एग्रीप्लास्ट' नाम से फर्म का पंजीकरण कराया. लखनऊ से थोड़ी दूर देवां रोड पर 3 एकड़ जमीन किराए पर ली, जिसका किराया प्रति एकड़ के हिसाब से 1 लाख रुपए सालाना है.

पहले कैप्सिकम की खेती शुरू की, फिर उसके आसपास अन्य सब्जियां उगाने लगे. थोड़े समय में ही छोटे-छोटे व्यापारी हमारे पास सब्ज‍ियां खरीदने आने लगे. 6 महीने में हमारे सेटअप को देखने के लिए आसपास के कई गांवों से लोग आने लगे.

3 साल तक शिमला मिर्च की खेती की. पहले साल 5 लाख रुपए की लागत आई, 8 लाख का टर्नओवर हुआ. 3 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ. दूसरे साल 7 लाख, तीसरे साल 12 लाख का मुनाफा हुआ.

प्रॉफिट से मिले पैसे से हमने और जमीनें किराए पर ली और उनपर भी खेती शुरू कर दी. हम इजराइली टेक्नॉलिजी से विदेशों में डिमांड होने वाले फूल और सब्ज‍ियों की खेती करते हैं. साल 2017-18 में हमारा टर्नओवर 11 करोड़ का रहा. यह दोनों भाई उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कृषि को छोड़कर शहरो का रुख करते हैं .

English Summary: success Story 2 Published on: 02 February 2018, 05:03 AM IST

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