खाद और स्प्रे यह ऐसे पदार्थ है जिसके बिना खेती करना मुश्किल हि नहीं नामुमकिन हैं. लेकिन यही दो चीजे एक किसान के लिए बहुत हि महंगी पढ़ जाती है जिसके चलते किसानो को कोई फायदा होता नहीं दिखाई देता. ऐसी ही कुछ कहानी है, गांव खारियां के निवासी किसान सज्जन कुमार की. जिनके पास 21 एकड़ भूमि हैं.
सज्जन कुमार ने वर्ष 2006 के अंदर 6 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया. इसके बाद किन्नू का बाग 11 एकड़ में कर लिया. किन्नू से अच्छी बचत होने लगी. मगर दस एकड़ भूमि में फसल से ज्यादा बचत नहीं हो रही थी.
जिसका कारण प्रतिवर्ष 5 से 6 लाख रुपये का खर्च स्प्रे व खाद पर पड़ने लगा.इसके कारण खेती एक महंगा सौदा बनने लगी. किसान ने खाद व स्प्रे का प्रयोग बंद कर दिया. और खुद से ही जैविक खाद और स्प्रे बनाने लगे. जिससे किसान को पांच लाख रुपया की बचत होने लगी. और किसान सज्जन कुमार अपने बने हुए जैविक पदार्थो से ही खेती करने लगे.
दो साल पहले सज्जन कुमार ने महाराष्ट्र के अमरावती में पदमश्री अवार्डी सुभाषपालेकर से स्प्रे बनाने का प्रशिक्षण लिय . गांव जा कर सज्जन कुमार अपने स्तर पर स्प्रे बनाने लगे और बाग व फसलों में देसी खाद का इस्तेमाल करने लगे.
वह देसी गाय के मूत्र व गोबर, नीम, आक धतूरा, गेंदा के फूल, कनेर, अरंड, अदरक, हल्दी, हींग, तबांकू, हरी मिर्च से स्प्रे तैयार कर रहा है. इसके बाद दूसरे किसान भी सज्जन कुमार से खेत सम्बन्धी जानकारी लेने आते हैं.
सज्जन कुमार बागवानी व फसलों में देसी गोबर की खाद प्रयोग कर रहे हैं और फसलों के लिए स्प्रे तैयार कर रहे है. देसी तरीके से तैयार की हुए स्प्रे 40 दिन में तैयार हो जाती है. इसके अलावा किसान बिना रासायनिक खाद व स्प्रे का प्रयोग कर फसल महंगे दामों पर बेच रहा है. इससे भले ही उत्पादन पहले थोड़ा कम हो रहा है. इसके बाद स्प्रे व खाद के प्रयोग से होने वाली फसल से अधिक बचत कर रहा है.
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