Success Story: मौजूदा वक्त में देश में कई किसान ऐसे हैं जो गजब की खेती कर रहे हैं. गजब इसलिए, क्योंकि खेती के तरीकों में बदलाव करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. लेकिन, कुछ किसान इससे कई गुना आगे बढ़ गए हैं. कहां, हम लाखों की बात करतें और देश में कई किसान ऐसे भी हैं जो मात्र एक या दो फसलों के जरिए सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. जी हां, सही सुना आपने. सफल किसान की इस सीरीज में आज हम आपको एक ऐसे ही किसान की कहानी बताएंगे, जो मशरूम की खेती करके सालाना करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं प्रगतिशील किसान डॉ. विकास वर्मा की, जो हरियाणा के हिसार जिले के सलेमगढ़ के रहने वाले हैं.
विकास वर्मा ने बताया कि वह पारंपरिक तौर पर खेती करते हैं और यही उनका पुश्तैनी काम भी है. अगर शिक्षा की बात करें तो विकास वर्मा ने 12वीं तक पढ़ाई की है और पिछले कई सालों से मशरूम खेती के जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि जब डॉ. विकास विकास वर्मा ने अपनी पढ़ाई 12वीं तक की है तो उनके नाम के आगे डॉक्टर कैसे लगा है? जब यही सवाल हमने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि नीति आयोग कुछ विश्वविद्यालय के माध्यम से देश के ऐसे किसानों को डॉक्टरेट की उपाधि देता है, जिन्हें इस क्षेत्र में कई सालों का अनुभव होता है। उन्होंने बताया कि जैसे वे मशरूम की खेती करते हैं और उन्हें इस क्षेत्र में कई सालों का अनुभव है, जिसके चलते उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली है.
मशरूम के लिए बनाया खुद का ब्रांड
डॉ. विकास वर्मा ने बताया कि वे मुख्य तौर पर मशरूम की खेती करते हैं और और उसे अपने ही ब्रांड के नाम से बाजार में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि वह वेदांत मशरूम प्राइवेट लिमिटेड और बोहरा ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी दो कंपनियां चलते हैं. इसी ब्रांड के नाम से अपने मशरूम बाजार में बेचते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह अपना उत्पाद मंडियों में बेच तो देते हैं, लेकिन उन्हें अपनी उपज की ज्यादा कीमत नहीं मिल पाती. लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियां इसी उत्पाद को महंगे दामों पर बेचती हैं. जब उन्होंने यह देखा तो उन्हें अपना ब्रांड बनाने का ख्याल आया. इसके बाद उन्होंने अपनी दो कंपनियां बनाई और अब वह इस ब्रांड के जरिए मशरूम की बिक्री करते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.
उन्होंने बताया कि शुरुआती तौर पर जब उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की थी, उन्हें मंडियों में इसके अच्छे दाम नहीं मिल पाते थे, लेकिन जब से उन्होंने अपना ब्रांड बनाया. तब से उन्हें दोगुना मुनाफा हो रहा है. उन्होंने बताया कि वैसे तो उनका फोकस मशरूम पर ज्यादा रहता है, लेकिन वे संरक्षित खेती भी करते हैं. जिसके तहत वे कई प्रकार की सब्जियों जैसे- शिमला मिर्च, खीरे और फलों में खरबूजे का उत्पादन करते हैं.
रोजाना 90 क्विंटल मशरूम का प्रोडक्शन
उन्होंने बताया कि वह 5 एकड़ जमीन पर मशरूम की खेती करते हैं, जहां उनका एक प्लांट है. मशरूम में इस प्लांट में वह रोजाना 80 से 90 क्विंटल कि प्रोडक्शन लेते हैं. जबकि, सवा एकड़ जमीन पर वे संरक्षित खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि मौजूदा वक्त में चार लोगों के साथ मिलकर अपने इस बिजनेस को कर रहे हैं, जबकि शुरुआत उन्होंने अकेले ही की थी. डॉ. विकास वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर आज मशरूम के इस बिजनेस को यहां तक पहुंचाया है, जिसमें उनके साथियों ने उनकी काफी मदद की है. जबकि, उन्होंने आज तक सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं लिया है.
सालाना 3 करोड़ से ऊपर का टर्नओवर
उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती पर सालाना उनकी लागत 50 से 60 लाख रुपये तक बैठ जाती है, जिसके जरिए वे 2 से 3 करोड़ तक का सालाना लाभ कमा लेते हैं. इसके अलावा, वे फलों और सब्जियों के उत्पादन से सालाना 10 से 12 लाख रुपये तक बचा लेते हैं. उन्होंने बताया कि वे मुख्य रूप से तीन तरह के मशरूम की खेती करते हैं, जिसमें बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम की किस्में शामिल हैं. जिसमें ऑयस्टर मशरूम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि इसमें लागत भी कम आती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है, जिससे वे अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं.
'बच्चों पर न बनाएं नौकरी का दबाव'
कृषि जागरण के माध्यम से उन्होंने किसानों को संदेश दिया कि वह अपने बच्चों पर नौकरी का दबाव न बनाएं. क्योंकि, ये जरूरी नहीं की पढ़ाई ही आपको सब कुछ देगी. आज लोग नौकरी छोड़कर खेती-किसानी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इससे कितना अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वह सोचते हैं कि अगर उनके बच्चे भी खेती करेंगे , तो ये घाटे का सौदा होगा. जबकि, ऐसा नहीं है. कई किसान आज किसानी के जरिए अपनी आर्थिकी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं और सालाना लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
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