दिल्ली के इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर फॉर आर्ट्स में आयोजित 'वुमन ऑर्गेनिक फेस्टीवल ऑफ इंडिया' में भारत के कोने कोने से महिला व्यवसायियों ने शिरकत की। हर कोई अपनी या अपने संस्थान द्धारा निर्मित ऑर्गेनिक वस्तुएं लाकर यहां लोगों को लुभा रहा था। किसी के पास अलग अलग प्रकार के मसाले थे तो किसी के पास खरगोश के बालों से बने हुए कपड़े या जुराबें। कोई ऑर्गेनिक शहद लिए खड़ा था तो कोई साबुन, तेल, धूप, अगरबत्ती का स्टॉल लिए खड़ा था, तभी नज़र भांति-भांति के बड़े-बड़े डिब्बों से भरे हुए एक स्टॉल पर पड़ी। ये देखने में दूसरे स्टॉलों से अलग था क्योंकि इस स्टॉल में ग्राहकों को लुभाने के लिए सजो-सामान जुटाए नहीं गए थे, बस एक नाम लिखा था - 'सुदेश रानी' ।
इस स्टॉल का जब रुख़ किया तो पता चला की इन डब्बों में अचार है। सच यही है कि सुनकर अजीब तो लगा क्योंकि जहां लोग एक से बेहतर एक उत्पाद लेकर आये थे वहां अचार का होना थोड़ा अजीब था और इसकी एक बड़ी वजह यह भी थी कि अब हमारे घरों में अचार संस्कृति दम तोड़ चुकी है इसलिए कईं सालों बाद एक बड़े मंच पर जब अचार का नाम सुना तो अचंभा होना स्वाभाविक था ।
बातों का सिलसिला आगे बड़ा और हमने सुदेश रानी जी से प्रश्नों के रुप में वार्ता आरंभ की।
क्या अचार भी ऑर्गेनिक हो सकता है ?
बिल्कुल, क्यों नहीं हो सकता । वैसे सच यह है कि ऑर्गेनिक अचार का दावा करने वाली कंपनियों का अचार ऑर्गेनिक नहीं होता परंतु यह सत्य है कि ऑर्गेनिक अचार बनाया जा सकता है। आप तेल से लेकर नमक तक सब कुछ पूरी शुद्धता के साथ प्रयोग करें तो अचार ऑर्गेनिक ही होगा।
कितने प्रकार के अचार हो सकते हैं ?
इसकी संख्या नहीं है। एक ही पदार्थ से कईं प्रकार के अचार बनाए जा सकते हैं। जैसे आम का अचार बहुत पसंद किया जाता है, दो प्रकार के आम का अचार होता है और मेरे पास वह मौजूद है जैसे -
1. देसी आम
2. रामकेला आम
यह दोनों ही आम हैं परंतु इनका मूल्य अलग-अलग है, जैसे देसी आम का मूल्य 200 रु किलो है और रामकेला आम का मूल्य 240 रु किलो । क्योंकि रामकेला आम का स्वाद देसी आम के स्वाद से एकदम अलग होता है।
कौन कौन से अचार बनवाती हैं ?
उत्तर - मैं अचार बनवाती नहीं, खुद ही बनाती हूं और इस समय मेरे पास विभिन्न प्रकार के अचार उपल्ब्ध हैं जैसे आम, निंबू, लहसुन, गाजर, आंवला, आंवला मुरब्बा, मिर्च, जामुन इत्यादि।
अपने उत्पादों को लेकर कहां कहां गईं हैं ?
देखिए अभी फिलहाल मुझे इस व्यवसाय में अधिक समय नहीं हुआ है। इस व्यवसाय में 4 से 5 साल अधिक नहीं होते परंतु हां यह सत्य है कि मेरे उत्पादों को लोगों ने पसंद किया है और अभी में मुज़फ्फनगर और दिल्ली तक ही सीमित हूं और इन दो राज्यों से मुझे अच्छा रिस्पांस मिला है। दूरदर्शन ने भी मेरे इने उत्पादों पर प्रोग्राम किये हैं।
इसके बाद हमनें सुदेश रानी जी से प्रश्न न पूछकर उनके अचार का ज़ायका लेना उचित समझा और यह किसी स्वप्न की बात नहीं कि उनके अचार में जो ज़ायका और स्वाद है वो मिलना मुश्किल है।
गिरीश पांडे, कृषि जागरण
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