छत्तीसगढ़ के एक युवा किसान ने पपीता की खेती से सालाना एकड़ से सात से आठ लाख रुपए बचत की है। राज्य के खड़ौदा गांव के निवासी रुपेंद्र जायसवाल ने खेती से आमदनी हासिल कर अपनी साख कुछ इस प्रकार बना ली है कि अन्य किसानों ने भी उनकी तरह खेती करने का मन बना लिया है। इस बीच उनकी खेती के नुस्खे अब आस-पास के और भी किसान अपना रहे हैं। वह खेती के तरीके आदि सीखने के लिए इंटरनेट के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते रहे। इस दौरान उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से एवं व्हाट्सऐप के जरिए खेती की जानकारी हासिल की।
उनकी इस सफलता पर जिले के उद्दान विभाग भी नाज़ करता है। माना जा रहा है कि रुपेंद्र को विभाग से मिलने वाली सहायता भी मिलेगी। दावा है कि दूसरे किसानों को उनके द्वारा की जा रही खेती को दिखाकर प्रोत्साहन दिया जा सकेगा। वह अब पपीते की खेती
लगभग 9 लाख रुपए की आमदनी की बचत कर रूपेंद्र जायसवाल एकड़ में लगभग एक लाख छत्तीस हजार रुपए की शुद्ध आमदनी हासिल कर रहे हैं। इस बीच वह कुल 9 एकड़ के रकबे में केले की खेती करते हैं। वह पपीते की रेडलेडी किस्म की खेती करते हैं जिसकी मांग आसपास के इलाकों में बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में भी इसकी मांग बढ़ने से इसकी साख बढ़ती जा रही है और इसे खूब पसंद किया जा रहा है। पपीता की खेती के लिए रूपेंद्र को बैंक से नौ लाख रुपए का कर्ज भी मिला है। यानिकी प्रति एकड़ लगभग 90 बजार रुपए का कर्ज प्राप्त किया। जिसे वह अपनी आमदनी के जरिए आसानी से चुका रहे हैं।
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