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नए किस्म के बीज का उत्पादन कर खेती का कुलविंदर सिंह ने बदला स्वरुप

पंजाब के कुलविंदर सिंह ने 1998 से बीज के नई किस्म की खेती करना शुरु की थी. आज उनके बीज से किसानों की पैदावार बेहतर हो रही है.

रवींद्र यादव
Kulwinder Singh
Kulwinder Singh

पंजाब के पटियाला जिले के मारिशपुर गांव के रहने वाले कुलविंदर सिंह प्रोग्रेसिव किसान के तौर पर एक सफल बीज उत्पादक बन गए हैं. उन्होंने अपने खेतों में बीज के उत्पादन का काम साल1998 से शुरू किया था. इसकी प्रेरणा उन्हें  पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किसान मेले से मिली थी. कुलविंदर सिंह के आज इस सफलता की कहानी अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा की स्त्रोत बन गई है.

जब कुलविंदर सिंह को भी नहीं थी इस बात की जानकारी

कुलविंदर सिहं बताते हैं कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों के साथ निरंतर संपर्क में रहकर उन्होंने खेती की नवीनतम तकनीक को सीखा और इन नए तरीकों को अपना कर वह अपनी कमाई और खेती को बेहतर बनाने में सफलता हासिल की. कुलविंदर ने बताया कि वे जानकारी की कमी होने के कारण ऐसे बीज उगा रहे थे जो उनके खेत और जलवायु के लिए उपयुक्त नहीं होते थे. इसके बाद वह कृषि विज्ञान केंद्र, पटियाला के विशेषज्ञों के संपर्क में आने के बाद गेहूं और गन्ने की नई किस्म के बारे में जानकारी हासिल की और फिर उन तरीकों को अपनाना शुरु किया.

22 एकड़ के खेत में की गन्ने के नए बीज की बुआई

उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र पटियाला में बीजों  की जानकारी को लेकर आयोजित एक जागरूकता शिविर में पहुंचे और वहां से खेती के लिए नई किस्मों के बीजों की खरीदारी की और फिर अपने 22 एकड़ के खेत में गन्ने की इस नई किस्में के बीज की बुआई की, जिसका बेहतरीन उत्पादन हुआ. इस पैदावार ने उनकी खेती को लेकर नजरीये को बदल दिया. इससे प्रोत्साहित होकर कुलविंदर ने अपने खेतों में गेहूं, धान, बासमती, बरसीम और गन्ना जैसी फसलों के उन्नत बीजों का उत्पादन शुरू किया.

आज वह नए और उन्नत किस्मों के बीज पैदावार कर रहे हैं और उन्हें बाजार में बेचकर काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इससे कुलविंदर की कमाई तो होती ही है और साथ ही अन्य किसानों को नई और बेहतरीन ढंग की फसलों के बीज उचित मूल्य पर आसानी से मिल जाते हैं.

ये भी पढ़ें: जैविक तरीके से खेती कर किसान तरसेम ने बदली किस्मत, छोटे किसानों के लिए बने मिसाल

पर्यावरण में रहा खास योगदान

इसके साथ ही कुलविन्दर सिंह धान की पराली से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए बिना आग लगाए रोटावेटर और मल्चर से जुताई करके खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में भी योगदान दे रहे है. इनके इस विशेष कार्य के चलते कुलविंदर सिंह को अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस ने "इनोवेटिव फार्मर अवार्ड-2017" से सम्मानित किया है. वहीं करनाल के  गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) ने भी उन्हें वर्ष 2019 में सम्मानित किया है.

English Summary: New variety of seeds produced by Kulwinder Singh Published on: 05 August 2023, 05:51 PM IST

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