
किसानों के लिए मोती की खेती बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. बाजार में मोती से बने उत्पादों की मांग भी बहुत अधिक है. एक असली मोती की कीमत लगभग 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक होती है. ऐसे में अगर आप मोती पालन करते हैं, तो आप इस बिजनेस से मोटी कमाई कर सकते हैं. मोती पालन के लिए आपको एक बड़े से टैंक को बांस में लटका कर उसमें सीपियों को पानी में रखना है. ताकि यह सही तरह से विकसित हो सके. इस तरह से सीपियों को पानी में करीब-करीब 14 महीने से लेकर 3 साल तक के लिए रखना होता है. बता दें कि पश्चिम चंपारण जिले के बगहा-2 के निवासी अजय प्रियदर्शनी ने मोती पालन से 14 महीने में ही लागत से कई गुना लाभ प्राप्त किया है. इन्होंने मोती की खेती में 2 लाख रुपये तक खर्च किए और वहीं मुनाफा लगभग 4.20 लाख रुपये हुआ है.
मोती पालन को लेकर माना जाता है कि इसमें काफी अधिक समय व मेहनत लगती है और लाभ बेहद कम मिलता है. लेकिन ऐसा नहीं है. आइए अजय प्रियदर्शनी की मोती पालन की विधि के बारे में जानते हैं. ताकि आप भी अपनी लागत से कहीं अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकें.
मोती पालन का तरीका
अजय प्रियदर्शनी के अनुसार, उन्होंने मोती पालन के लिए लगभग एक लाख रुपये में कम से कम दो हजार सीपियों को बाजार से खरीदा और उसे पानी के टैंक को बांस में लटका कर रख दिया. उन्होंने इसे 14 महीने के लिए एक ही स्थान पर अकेले छोड़ दिया. जब उन्होंने 14 महीने के बाद टैंक को देखा तो उसमें से लगभग 1400 सीपियां जीवित रही और बाकी बची मर गई. उन्होंने बताया कि जो सीपियां जीवित रही वह चपटे आकार वाली एकमुखी मोतियां बनी.
मोती पालन में लागत व मुनाफा
अजय प्रियदर्शनी के मुताबिक, मोती पालन की इस 14 महीने की प्रक्रिया में उन्होंने लगभग एक लाख रुपये तक खर्च किए और वहीं उन्होंने बाजार से एक लाख रुपये की दो हजार सीपियां खरीदी थीं. ऐसे में हिसाब लगाया जाए तो अजय की मोती पालन में कुल लागत दो हजार रुपये आई.
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वहीं, अगर हम मुनाफे की बात करें, तो इन्होंने 14 महीने के बाद जब मोतियों को बाजार में बेचा तो उसके इन्हें कुल 4.20 लाख रुपये मिलें. उन्होंने बताया की बाजार में एक मोती की कीमत करीब 300 रुपये के हिसाब से बिकी ऐसे में उसकी 1400 सीपियां थी, जिससे उसे कम लागत में दोगुना लाभ प्राप्त हुआ.
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