Broiler Poultry Farming Business: मुर्गी पालन एक ऐसा लाभदायक व्यवसाय है जिसे बहुत कम लागत में शुरू कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. भारत में मांस की बढ़ती मांग और कृषि आधारित व्यवसायों में आय के नए साधनों की तलाश के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग (Broiler Poultry Farming) तेजी से लोकप्रिय हो रही है. पटना जिले के प्रगतिशील किसान आदित्य कुमार ने इस क्षेत्र में एक बेहतरीन सफलता की मिसाल पेश की है. उनके पास 25,000 मुर्गियों की क्षमता वाले शेड हैं, जिनमें वह साल में लगभग 8 बार मुर्गियों को बेचते हैं और लाखों का मुनाफा कमाते हैं.
आदित्य कुमार की इस सफलता की कहानी में कई महत्वपूर्ण पहलू छिपे हैं जिनसे नए किसान काफी कुछ सीख सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी सूझ-बूझ और मेहनत से ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय (Broiler Poultry Farming Business) को सफल बनाया है.
सही जगह का चुनाव और स्वास्थ्य प्रबंधन
कृषि जागरण से बातचीत में आदित्य कुमार ने बताया कि ब्रायलर मुर्गी पालन (Broiler Poultry Farming) की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले एक सही जगह का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है. आदित्य कुमार के अनुसार, फार्म के लिए ऐसी जगह होनी चाहिए जो समतल हो और हल्की ऊंचाई पर स्थित हो, ताकि बारिश के मौसम में पानी का जमाव न हो सके.
इसके अलावा, फार्म का स्थान सड़क के आस-पास होना चाहिए ताकि आने-जाने में सुविधा हो. शेड और बर्तनों की सफाई नियमित रूप से की जानी चाहिए. इसके अलावा, मुर्गियों की देखभाल में सबसे जरूरी है कि बिजली और पानी की सही व्यवस्था होनी चाहिए ताकि फार्म में हमेशा ताजगी बनी रहे.
साथ ही, मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण भी जरूरी है. इससे बीमारियों से बचाव होता है और मृत्यु दर कम रहती है. नियमित चेकअप और दवाइयों का ध्यान रखना भी एक महत्वपूर्ण कदम है.
शेड का निर्माण
आदित्य कुमार बताते हैं कि शेड का निर्माण करवाते समय उसकी लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा में रखना लाभदायक होता है, जिससे गर्मियों में तेज हवाओं और आंधी-तूफान से मुर्गियों को सुरक्षा मिलती है.
शेड में हर मुर्गे के लिए उचित जगह का होना भी आवश्यक है. एक स्टैण्डर्ड साइज के मुर्गे के लिए 1 स्क्वायर फीट जगह की जरूरत होती है, और यदि आप बड़े आकार के मुर्गे तैयार कर रहे हैं तो 2 स्क्वायर फीट की जरूरत होती है.
आदित्य के अनुसार, लगभग 1000 स्क्वायर फीट के शेड में करीब 900 स्टैण्डर्ड साइज के मुर्गे आसानी से रखे जा सकते हैं. उन्होंने 1000 स्क्वायर फीट के शेड पर करीब एक लाख रुपये खर्च किए थे, जो आज उनके मुनाफे के लिए एक स्थायी आधार बन चुका है.
मुर्गियों की देखभाल
गर्मियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. आदित्य बताते हैं कि तेज गर्मी और उच्च तापमान के कारण मुर्गियों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. गर्मी से बचाव के लिए शेड की छत पर पुआल या घास बिछाई जा सकती है, जिससे छत ठंडी बनी रहती है. सफेदी करवाने से भी छत पर गर्मी का असर कम होता है, और पंखे लगाकर अतिरिक्त ठंडक दी जा सकती है. इससे मुर्गियों की मृत्यु दर में कमी आती है और मुनाफे पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग में मुनाफे का गणित (Broiler Poultry Farming Profit)
ब्रायलर मुर्गियों के व्यापार में मुनाफे का पूरा गणित आदित्य के हिसाब से काफी सरल है. एक मानक साइज का मुर्गा, जिसका वजन लगभग 1.2 किलो होता है, उसे तैयार होने में 22 दिनों का समय लगता है. एक मुर्गे पर लगभग 100 रुपये की लागत आती है, जिसमें दाना, वैक्सीन, और अन्य देखभाल का खर्च शामिल होता है. जब यह मुर्गा तैयार हो जाता है, तो इसे बाजार में करीब 120-125 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है, जिससे एक अच्छे मुनाफे की संभावना बनती है. आदित्य साल में 8 बार मुर्गे बेचते हैं और इस व्यापार से लाखों की कमाई करते हैं, जो उनकी सूझ-बूझ और मेहनत का परिणाम है.
आदित्य की सफलता: युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
आदित्य कुमार की यह सफलता ग्रामीण युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1500 मुर्गियों के छोटे शेड से की थी, लेकिन धीरे-धीरे अपने अनुभव और मेहनत से अपने फार्म की क्षमता को 25,000 मुर्गियों तक बढ़ा दिया. उनकी सफलता की कहानी यह दिखाती है कि धैर्य, समर्पण, और सही योजना से कोई भी व्यक्ति ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकता है.
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