छपरा (बिहार) के रहने वाले किसान हरिया सिंह ब्राह्मी की खेती करते हैं, ब्राह्मी ने उन्हें क्षेत्र में नई पहचान दी है. हरिया खुद ये बात मानते हैं कि ब्राह्मी की खेती के कारण, आज उनका घर खर्च आसानी से चल जाता है. इसकी खेती करने का विचार उनके मन में कैसे आया, चलिए जानते हैं.
हरिया बताते हैं कि आम किसानों की तरह वो भी मुख्य फसलों पर ही ध्यान देते थे. लेकिन पटना के गांधी मैदान में लगने वाले कृषि मेले से उन्हें वानस्पतिक फसलों की जानकारी मिली.
उन्होंने शुरू में इसकी खेती एक प्रयोग के तौर पर करने का फैसला किया, प्रयोग सफल रहा तो बड़े पैमाने पर खेती होने लगी. आज 4 बीघा जमीन पर इसकी खेती होती है, जिससे अच्छा मुनाफा होता है.
दवाईयों में उपयोग होता है ब्राह्मी
हरिया बताते हैं कि हर्बल कंपनियों के बीच इसकी अधिक मांग है. इसका हर भाग, जैसे- जड़, पत्ता, गांठ आदि का उपयोग कई बीमारियों के उपचार में होता है.
बिजाई का समय
इसकी बिजाई के लिए वर्षा का महीना सबसे उपयुक्त है. आप इसकी बिजाई मध्य जून या जुलाई के महीने में आसानी से कर सकते हैं.
शरीर के लिए है लाभकारी
हरिया के मुताबिक ब्राह्मी को कई कारणों से शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है. जैसे इसमें पाया जाने वाला नाइट्रिक ऑक्साइड रक्तचाप के खतरे को कम करने में सहायक है. इसके अलावा इस पौधे का उपयोग कैंसर के उपचार में भी किया जाता है.
शहरों में अधिक है मांग
ब्राह्मी की सबसे अधिक मांग बड़े शहरों में है, जहां लोग थकान एवं तनाव से ग्रसित रहते हैं.
इसमें विटामिन और मिनरल के साथ ही फाइबर पाया जाता है, जो आंतों में से हानिकारक पदार्थों को साफ करता है.
(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)
Share your comments