‘किसान’ यूं तो पढ़ने में सामान्य सा शब्द लगता है, लेकिन सही अर्थो में किसान किसी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होता है। एक किसान ही है जो अन्न की वर्षा करके हमारे पेट भरता है। अन्न की पूर्ति करने के लिए किसान जीतोड़ मेहनत करता है। किसान को अपने खेतों और अपने काम से इतना प्यार हो जाता है कि वो उस काम में दक्ष हो जाता है। धीरे-धीरे अन्य किसानों के बीच वह मिसाल बन जाता है। मध्यप्रदेश के भोपाल जिला बोरखेड़ी ग्राम निवासी गुलाब सिंह मेवाड़ा भी किसानों के बीच आदर्श है।
गुलाब सिंह मेवाड़ा को बचपन से ही खेती करने का शौक था। अपनी गरीबी से लड़ते हुए गुलाब सिंह मेवाड़ा छोटी जोत की जमीन में ही खेती करने का काम किया करते थे। लेकिन अपनी दिवा स्वप्न और कर्मठता के बल पर आज गुलाब सिंह 20 एकड़ जमीन पर खेती करने का काम करते है। गुलाब सिंह की मेहनत ने अपना इतना असर दिखाया की वह गुलाब की खुशबू के भांति चहुओर फैल गया। इनकी मेहनत की खुशबू देश ही नहीं वरन विदेशों तक भी पहुंचा हैं। गुलाब सिंह को आदर्श खेती करने के लिए विदेशों में भी कई पुरस्कार मिल चुका है। किसान मित्र के नाम से प्रसिद्ध गुलाब सिंह को राज्य के कई संगठनों सहित आत्मा परियोजना के द्वारा भी कई पुरस्कार प्रदान किए गये है। गुलाब सिंह को खेती के अलावा पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी का शौक है। अपनी शौक को पुरा करने के लिए उन्होंने एक एकड़ में मछली पालन, एक एकड़ में पशुपालन और एक एकड़ में अमरूद का बगीचा भी लगा रखा है। गुलाब सिंह बताते हैं कि “मैंने अरहर की पांच प्रजातियां लगाई है। अपने अरहर की प्रजाति को मैंने कई किसानों को बांट दिया है और उन्हें अरहर की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है।“ गुलाब अपनी सफलता का सारा श्रेय आत्मा को यह कहते हुए देते हैं कि “यदि आत्मा नहीं होता तो मैं नहीं होता”, आत्मा के कारण ही मैं खेती करने में नं.1 हूं।“ गुलाब सिंह ने अपने गांव में आदर्श जैविक समूह भी बनाया है जिसमें किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। गुलाब के अनुसार “इस समूह में मैनें 35 किसानों को जोड़ा है, इसका फायदा यह हुआ कि जो खाद हमे 450000 में मिलता था वही अब 150000 में मिलता है”।
गुलाब सिंह एक प्रयोगवादी किसान है। साथ ही वह जैविक खेती करने पर बल देते हैं। नीम, धतूरा इत्यादि के द्वारा अपने घर पर ही वह जैविक खाद और कीटनाशक बनाने का काम करते रहते हैं, इतना ही नहीं, वर्मी कम्पोस्ट खाद, केचुआ खाद, और कंपोस्ट खाद भी वह अपने घऱ पर ही तैयार करते हैं। उन्होंने 52 प्रकार के पेड़-पौधों के पत्तियों द्वारा वनस्पति खाद भी बनाया है। गुलाब सिंह बताते हैं कि “पहले 80000 रूपये साल केवल खाद में चले जाते थे लेकिन अब सिर्फ 5000 रूपये लगते है”। गुलाब सिंह पांच एकड़ में शुद्ध जैविक खेती करने का काम करते हैं और भरपूर अन्न, फल उत्पादन करते हैं। गुलाब के अनुसार ” पहले मुश्किल से खाने को गेहूँ पैदा होता था, लेकिन आज 150 कुंतल तक गेहूँ बेच लेता हूं“।
अनाजों और फलों को सुरक्षित रखने हेतु उन्होंने स्वयं का कोल्ड स्टोरेज बना रखा है। बिजली की कमी और रसोई गैस की आपूर्ति हेतु उन्होंने गोबर गैस संयंत्र भी स्थापित किया है। गुलाब सिंह, फसलों की अच्छी पैदावार हेतु फसल चक्र अपनाते हैं। गुलाब सिंह कहते हैं कि “यदि किसान जागरूक हो तो 2022 नहीं बल्कि 2020 तक ही किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी।“ गुलाब सिंह क्षेत्र के किसानों की पाठशाला भी लगाते है जिसमें किसानों को खेती करने के गुर सिखाते हैं। गुलाब की प्रेरणा से आज उनके गांव के किसान मन लगाकर खेती करने लगे है। पीजीए आत्मा के अध्यक्ष, भारतीय किसान सभा के महामंत्री के पदों को सुशोभित करने वाले गुलाब सिंह मेवाड़ा का नाम कृषि उत्पादन, पशुपालन, फल उत्पादन, मत्स्य पालन में अव्वल है। किसान उन्हें अपना आदर्श मानते हुए उनके ही पथ पर चले जा रहें हैं।
Share your comments