1. Home
  2. सफल किसान

सफल किसान की कहानी उसी की ज़ुबानी

मेरा नाम विष्णु ठाकुर है. मैं गांव बिरगोदा, जिला इंदौर, मध्य प्रदेश का निवासी हूं. आज हम गेहूं की उन्नत खेती कैसे करें ताकि लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो. मैं करीब 10-12 वर्षों से खेती कर रहा हूं. पहले पुरानी पद्धति से खेती करता था जिसमें एक बोरी भीगा हुआ डीएपी देना पड़ता था और बोने के 15 से 20 दिन बाद एक बोरी यूरिया देना होता था.

गिरीश पांडेय
Sucess Story
Sucess Story

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम विष्णु ठाकुर है. मैं गांव बिरगोदा, जिला इंदौर, मध्य प्रदेश का निवासी हूं. आज हम गेहूं की उन्नत खेती कैसे करें ताकि लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो. मैं करीब 10-12 वर्षों से खेती कर रहा हूं.

पहले पुरानी पद्धति से खेती करता था जिसमें एक बोरी भीगा हुआ डीएपी  देना पड़ता था और बोने के 15 से 20 दिन बाद एक बोरी यूरिया देना होता था. जिसके बाद 15-15 दिन के अंतराल पर तीन-चार बार पानी फेरना पड़ता था. इस तरीके से जब हम खेती करते थे तब हमारे गेहूं का उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघा होता था. कम उत्पादन होने की वजह से मैं निराश होता था.

फिर मैं अपने दो मित्रों धर्मेंद्र और सुनील से मिला. उन्होंने मुझे ग्रामोफोन के बारे में बताया. मैंने ग्रामोफोन के टोल फ्री नंबर - 18003157566 पर मिस कॉल दी और ग्रामोफोन से जुड़ा. ग्रामोफोन  से मैंने गेहूं की खेती के बारे में जानकारी ली और उसी तरीके से खेती करना प्रारंभ किया.

सबसे पहले ग्रामोफोन की मदद से एक बोरी  बीघा की खाद देता था उसे 40 किलो प्रति बीघा यानी कि 10 किलो प्रति बीघा कम करवाया और गेहूं का बीज उपचार करवाया. बोने के  15 से 20 रोज बाद जब हम पहला पानी गेहूं में  देते हैं तब यूरिया की मात्रा 50 किलो से घटाकर 25 किलो कर दी गई. 

पहले ग्रामोफोन ने डीएपी कम कराया और फिर यूरिया की मात्रा कम की. मैं घबरा गया. मेरी फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा. तब मुझे विशेषज्ञों के माध्यम से यह बताया गया कि यूरिया की आवश्यकता पौधे की जड़ों को नहीं होती है.

यूरिया की आवश्यकता पत्तियों को होती है. हम  इसकी आधी मात्रा जड़ के माध्यम से दे रहे हैं. 200 से 300 ग्राम प्रति बीघा की दर से छिड़काव करेंगे और उस पानी के घोल में हल्की-फुल्की कीटनाशक एवं सल्फर की मात्रा भी दी जाएगी. तब मैं संतुष्ट हुआ इसी प्रकार अंतिम सिंचाई से पहले ग्रामोफोन ने मुझे एक छिड़काव और करने की सलाह दी, जिसमें फंगीसाइड और कीटनाशक डाली गई.

 मेरा गेहूं पूर्ण रूप से स्वस्थ था. कटाई के बाद उत्पादन 17 से 18 क्विंटल प्रति बीघा हो गया और दानों में चमक ज्यादा थी. दानों का आकार बड़ा था जिसे देख कर मेरे आस-पड़ोस के मित्र बंधु बहुत प्रभावित हुए और आज वह भी मेरे साथ  ग्रामोफोन से जुड़ चुके हैं. सच कहता हूं ग्रामोफोन से किसानों का बहुत फायदा होगा. खेती एक लाभ का व्यवसाय बनेगी और हिंदुस्तान विश्व का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद निर्यातक देश बनेगा.

English Summary: gramophone farming is beneficial for farmers Published on: 06 April 2019, 04:49 PM IST

Like this article?

Hey! I am गिरीश पांडेय. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News