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बकरी पालन के सहारे मेनका ने रची सफलता की कहानी, ज़रुर पढ़िए

वर्तमान समय में लोगों का रुझान बकरीपालन की तरफ जा रहा है. सरकार भी इसे काफी ज्यादा प्रमोट कर रही है. ऐसे में गाँव की मामूली सी लड़की मेनका ने भी बकरीपालन कर अपनी सफलता की कहानी रची है. जो अब लोगों के लिए मिसाल बन रही है.

मनीशा शर्मा
Success story
Goat Farming in india

किस्मत बदलते समय नहीं लगता... ये पंक्तियां आपने बचपन में बहुत सुनी होंगी पर ऐसे कई लोग हैं. जिन्होंने अपनी किस्मत मेहनत के बल से बदल दी. जी हाँ... सही सुना आप ने आज हम अपने इस लेख में ऐसी ही एक सफलता की कहानी लेकर आए हैं, जिसे पढ़कर आप में भी कुछ कर दिखाने की हिम्मत आएगी.

तो ये कहानी है बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखंड परसवाड़ा के ग्राम डेंडवा की रहने वाली युवती मेनका उईके की. जो एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी, तो एक दिन मेनका की मुलाकात पशु चिकित्सालय बोदा के चिकित्सक से हुई उन्होंने मेनका को बकरी पालन (Goat Farming) की सलाह दी. तो इस सलाह से मेनका की किस्मत ऐसी चमकी कि फिर उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. तो आइये जानते हैं मेनका की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से....

मेनका का जीवन

मेनका बचपन से गरीबी में पली बढ़ी और घर का गुजारा चलाने में वह अपने माता-पिता की सहायता करती थी. उसके परिवार के पास थोड़ी सी खेती की जमीन थी. जिस पर खेती कर उसके घर का गुजारा चलता था. इसके अलावा उसकी आय का कोई जरिया नहीं था. फिर उसने बकरी पालन शुरू किया और कम समय में ही इस व्यवसाय से अच्छा लाभ अर्जित करने लगी.

कैसे शुरू किया बकरी पालन

पशु चिकित्सालय बोदा के चिकित्सक ने मेनका को बकरी पालन की सलाह दी और उसे बैंक से बकरी पालन के लिए लोन दिलाया. जिसके बाद मेनका ने बकरी पालन शुरू किया. इस व्यवसाय से कम समय में हुई आय ने उसके परिवार के अच्छे दिन ला दिए है.

बकरी पालन के लिए कितना मिला लोन

वर्ष 2016-17 में मेनका को 10 बकरियों और 1 बकरे की इकाई के लिए बैंक से 77 हजार 546 रुपए का लोन दिलाया गया था . जिसमें से आधा पैसा पशु चिकित्सा विभाग (Veterinary department) द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया गया. मेनका को बकरी पालन के लिए इकाई की कुल लागत का मात्र 10 फीसदी लगाना पड़ा. बैंक से लोन मिलते ही मेनका ने 10 देशी प्रजाति की बकरियां और जमनापारी नस्ल का एक बकरा खरीदा.

पशु चिकित्सा विभाग ने की सहायता

पशु चिकित्सा विभाग द्वारा उसकी बकरियों के लिए 3 माह का आहार उपलब्ध कराने के साथ ही बकरियों का 5 वर्ष का बीमा भी कराया गया है. मात्र 6 माह की अवधि में ही मेनका की बकरियों ने 8  मादा और 7 नर बच्चों को जन्म दे दिया है. बकरियों के बच्चे बड़े होने पर उनकी कीमत 52 हजार रुपए हो गई.

इतने पैसों में बेचें बकरा-बकरी

मेनका ने फिर प्रति बकरी 3 हजार रुपए और प्रति बकरा 4 हजार रुपए की दर से बाजार में 6 बकरियों और 5 बकरों को बेच दिया. जिससे उसे 6 माह में ही 38 हजार रुपए की कमाई हुई. मेनका ने पहली बार में हुई आय से बैंक का लोन भी अदा कर दिया है. मेनका बकरी पालन के इस धंधे से कम समय में मिले अधिक लाभ से संतुष्ट और बहुत खुश है. इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक सुधर गई है.

अब वह अपने बकरी पालन के इस धंधे को और आगे बढ़ाना चाहती है. मेनका कहती है कि अगर उसे बकरी पालन के लिए बैंक से लोन और पशु चिकित्सा विभाग से मदद नहीं मिलती तो उसके अच्छे दिन शायद नहीं आ पाते. अब वह गांव के दूसरे लोगों को भी बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि वे भी कम समय में थोड़ा निवेश कर भविष्य में अच्छा खासा पैसा कमा सकें.

तो ऐसी ही दिलचस्प कृषि सम्बंधित सफलता की कहानियाँ पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारी कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट के साथ...

English Summary: goat farming: menka created her own identity with the help of goat rearing, read the success story Published on: 10 July 2021, 10:01 AM IST

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