आज देश के कई किसान परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक तरीके से खेती कर किसानों को तरक्की का मुकाम दिलाने में सहायता कर रहे हैं. कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है श्याम जी मिश्र ने जोकि शिक्षक से किसान बने हैं. दरअसल मूली की खेती से उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. उन्होंने 85 से 90 दिन में मात्र ढाई किलो की मूली को पैदा किया है. इससे उन्हें 25 हजार रूपये प्रति बीघा मुनाफा होगा. आज उनकी इस कामयाबी को देखकर कई किसान इसकी ओर बढ़ते जा रहे है. इससे उनको 25 हजार बीघा मुनाफा भी प्राप्त हो रहा है. आज उनकी कामयाबी को देखकर बहुत किसान इस दिशा की ओर बढ़ रहे है.
पेश की आधुनिक खेती की मिसाल
श्याम जी मिश्र ने आज आधुनिक खेती की जिस मिसाल को पेश किया है. वह किसानों की तरक्की का रास्ता बन सकती है. यहां पर परंपरागत गेहूं, धान आर गन्ना आदि खेती से हटकर उन्होंने मूली की खेती शुरू की है. श्याम जी बताते हैं कि वह पंजाब गए थे वहां उनकी मुलाकात मूली की खेती करने वाले किसान से हुई. मूली के उत्पादन और बाद में मुनाफे की बात को सुनकर करतार सिंह से ही वह मूली के बीज को लेकर आए है. उन्होंने एक बीघा में करीब साढ़े सात सौ ग्राम बीज को लगाया. चार एकड़ मूली की बुवाई की. जो 90 दिन में ही तैयार हो गई है. श्याम जी कहते हैं कि पंजाब में बीज को खरीदते समय उनको औसतन 400 क्विंटल प्रति बीघा मूली का उत्पादन बताया गया था.
हर मूली का वजन ज्यादा
उनके खेत में उगने वाली हर मूली ढाई से तीन किलो की है, इस हिसाब से देखें तो उनको प्रति बीघा के हिसाब से करीब 600 से 700 क्विंटल उत्पादन की संभावना है. बुवाई से फसल तैयार होने तक प्रति बीघा करीब छह से सात बीघा लागत लगी है. लेकिन कंपनी से हुए समझौते के मुताबिक तैयार फसल की कीमत प्रति बीघा 30 से 32 हजार रूपये लागत होगी.
आयुर्वेदिक कंपनी खरीदती है मूली
मूली की फसल को आयुर्वेदिक दवा कंपनी खरीद लेती है. फसल की बुवाई के समय पर ही एग्रीमेंट हो जाता है. श्याम जी से हुए एग्रीमेंट के मुताबिक दवा कंपनी पत्तों समेत दो रूपये किलो मूली को खरीदेगी. खुदाई के शुरू होते ही दवाई कंपनी का प्रतिनिधि इसकी तैल करने आएगा. बाद में यह सूख जाएगी जिसके बाद उसके टुकड़े को जला दिया जाएगा और कंपनी जली हुई मूली की राख ले जाएगी.
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