कृष्णा फल स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद उपयोगी फल माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसके सेवन कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है. यही वजह है कि इसके फल की मांग हमेशा बनी रहती है. इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की पिपलौदा तहसील के कुशलगढ़ गांव के प्रोग्रेसिव फार्मर विनोद पाटीदार इसकी खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. तीन साल पहले उन्होंने विदेश से इसके 100 पौधे एक्सपोर्ट किये थे और पिछले दो सालों से फल ले रहे हैं. विनोद का कहना है कि इसे पांडु फल के नाम से भी जाना जाता है जबकि अंग्रेजी में इसे पैशन फ्रूट कहा जाता है. तो आइये जानते हैं विनोद पाटीदार की सफलता की कहानी.
कैंसर रोगियों के लिए फायदेमंद
उन्होंने बताया कि यह कृष्णा फ्रूट स्वाद में खट्टा होता है और इसका ज्यूस बनाकर सेवन किया जाता है. यदि कैंसर रोगी शहद के साथ इसका ज्यूस बनाकर पिए तो यह तो कैंसर के प्रभाव को कम किया जा सकता है. यह बेलनुमा पौधा होता है जिस पर अक्टूबर महीने में फूल आते हैं. वहीं नवंबर-दिसंबर में इसमें फल आने लगते हैं तथा अप्रैल तक फल लिए जा सकते हैं. इसके फल की साइज देखने में सेब के बराबर होती है जो वजन में 100 से 130 ग्राम के होते हैं. अमेरिका जैसे देश में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है.
350 रुपये किलो बिकता है
विनोद ने बताया कि इसके हेल्थबेनिफिट को देखते हुए बाजार में इस फल की अच्छी मांग रहती है. पिछले साल उन्होंने पहली बार कृष्णा फ्रूट का उत्पादन लिया था. जिसे दिल्ली मंडी में 350 रुपये/किलो बेचा था. हालांकि कोरोना काल की वजह से इस साल उन्हें 250 रुपये किलो का ही भाव मिल पाया. उन्होंने बताया कि इसकी खेती मंडप (मचान विधि) विधि से की जाती है.
कैसे करते हैं इसकी खेती
उन्होंने बताया कि एक बीघा में करीब 230 पौधे लगते हैं. जिन्हें कतार से कतार की दूरी 12 फीट कर पौधे से पौधे की दूरी 8 फीट रखी जाती है. उन्होंने तक़रीबन 100 पौधे एक्सपोर्ट किये थे. प्रति पौधे की कॉस्ट उन्हें 150 रुपये तक पड़ी थी. वहीं अब इसके प्रति पौधे की कीमत 80 रुपये है. डेढ़ साल बाद ही इसमें फल आने लगते हैं. एक बीघा से करीब 25 क्विंटल कृष्णा फ्रूट का उत्पादन होता है. जिससे 6 लाख रुपये की आमदानी होती है.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
नाम -विनोद पाटीदार
मोबाइल नंबर -79740 85101
पता -गांव कुशलगढ़, तहसील पिपलौदा, जिला रतलाम, मध्य प्रदेश
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