आम खाते वक्त कभी न कभी आपको यह ख्याल जरूर आया हो होगा कि काश! गर्मी ही नहीं, हर मौसम में ऐसे ही रसीले आम मिलते रहें. अगर आप भी इस ख्याल से गुजरे हैं, तो समझो आपकी यह मुराद पूरी हो गई है. दरअसल, राजस्थान के कोटा जिले के किसान श्रीकिशन सुमन ने आम की एक 'सदाबाहर' किस्म विकसित की है. जिससे आपको सालभर रसीले और स्वादिष्ट आम मिलते रहेंगे.
गार्डन में भी ऊगा सकते हैं
श्रीकिशन द्वारा ईजाद आम की इस किस्म को 'बौनी किस्म' भी कहा जाता है. दरअसल, इस किस्म के पेड़ का आकार बेहद छोटा होता है. इस वजह से इसे आप इसे आप किचन गार्डन में भी उगा सकते हैं. श्रीकिशन का कहना हैं कि आम की यह किस्म कई व्याधियों की प्रतिरोधक है. जिससे इसके फल किसी भी बीमारी से नहीं घिरते हैं. उन्होंने बताया कि आम कि यह ख़ास किस्म देखने में बाहर से पीले रंग की होती है. वहीं इसकी गुठली का आकार बेहद छोटा होता है. इस वजह से इसमें रस भी अधिक निकलता है. इसके अलावा, गुदा देखने में केशरिया रंग का होता है जो खाने में बेहद मीठा व स्वादिष्ट होता है. पोषक तत्वों से भरपूर आम की इस किस्म में फाइबर की मात्रा कम होती है. इस वजह से इसे आसानी से खाया जा सकता है.
20 सालों की कड़ी मेहनत
11 वीं तक पढ़ाई करने वाले श्रीकिशन सुमन ने 20 की कड़ी मेहनत के बाद इस किस्म को ईजाद किया है. वे बताते हैं कि इससे पहले वे सब्जियों की खेती करते थे. लेकिन सब्जियों में कई प्रकार के रोग लगते थे जिसके चलते उन्हें कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि रासायनिक दवाओं का मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसलिए उन्होंने सब्जी की खेती करना छोड़कर फूलों की खेती शुरू की. इस दौरान उन्होंने गुलाबों के फूलों पर ग्राफ्टिंग करना शुरू किया. गुलाब के एक पौधे पर उन्होंने ग्राफ्टिंग के जरिये 7 रंगों के फूल उगाएं. इसी दौरान उन्हें आम के पौधे पर ग्राफ्टिंग करने का आइडिया आया.
कई जगहों से बीज लाए
सुमन ने आगे बताया कि उनका परिवार अब तक परंपरागत खेती ही करता आया था. इस वजह से अधिक मुनाफा नहीं हो पाता था. फूलों की खेती के दौरान ही उन्होंने आम की बागवानी लगाने के सोची. इस दौरान उन्होंने आम उगाने वाले दूसरे किसानों को देखा कि आम के पेड़ों से एक साल फल मिलते हैं ,तो एक साल नहीं. जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था. यही सोचकर उन्होंने आम की सदाबहार किस्म ईजाद की. उन्होंने बताया कि इसके लिए वे कई जगहों से आम के अलग-अलग किस्मों के बीज लाये.
अमेरिका में भी डिमांड
उन्होंने बताया कि बागवानी के दौरान उनकी नज़र एक ख़ास पौधे पर पड़ी जो सालभर में ही फल देने लगा था. इसके बाद उन्होंने इस पौधे पर ग्राफ्टिंग शुरू की और यह ख़ास किस्म विकसित की. जो एक साल में तीन बार फल देता है. जिसे देखने लखनऊ के वैज्ञानिक भी आए. इसको नाम उन्होंने ही 'सदाबहार आम' दिया. उन्होंने बताया कि इसका फल पौधे पर ही पक जाता है. इसको केमिकल से पकाने की जरूरत नहीं पड़ती है. बाहर भेजने के लिए पकने से पहले आम को तोड़ लिया जाता है. इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके हैं. इस ख़ास किस्म के पौधों कि अमेरिका से भी डिमांड आ रही है. वहीं वे जर्मन लंदन, इटली, नेपाल समेत कई देशों को इसके पौधे भेज चुके हैं.
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