कहते हैं कि इंसान अगर दिल से कुछ चाहे तो वो जरूर पूरा होता है। कुछ ऐसा ही सपना देखा था गुड़गांव, हरियाणा की रहने वाली 43 वर्षीय कृष्णा ने जिनकी निरक्षरता उनकी कामयाबी के आड़े कभी नहीं आई क्योंकि उनका मानना है कि जहां चाह है वहीं राह है। उन्होंने एक सफलतम खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा फलों में मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण करने का वर्ष 2001-02 में तीन माह का प्रशिक्षण प्राप्त करना इनके जीवन का अहम मोड़ रहा। प्रशिक्षण के बाद इन्होंने 3000 रूपए के प्रारंभिक निवेश के साथ सर्वप्रथम 100 कि.ग्रा. करौंदा (कैरिजा करंडस) का अचार और 5 कि.ग्रा. मिर्च का अचार तैयार किया जिसकी बिक्री कर इन्हें 5250 रूपए का शुद्ध लाभ मिला। करौंदा अचार तथा कैंडी तैयार करने के अपने शुरूआती दिनों से लेकर अब कृष्णा यादव अलग-अलग तरह की चटनी, अचार, मुरब्बा, एलोवेरा जैल, जामुन, लीची, आम तथा स्ट्रॉबेरी के पूसा फल पेय आदि जैसे 152 तरह के उत्पादों का निर्माण कर रही हैं। इन उत्पादों को एफ.पी.ओ. टैग भी मिला हुआ है।
वर्तमान में इनकी प्रसंस्करण इकाई में 500 क्विंटल फल एवं सब्जियों का प्रसंस्करण किया जाता है जिससे इनका वार्षिक टर्नओवर 2 करोड़ रूपए से भी अधिक है। इसके साथ ही इन्होंने अपने इस व्यवसाय में अन्य लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है। श्रीमति कृष्णा ने बीएसएफ कैंटिन सहित विभिन्न एजेंसियों के साथ मजबूत व्यापारिक सम्पर्क विकसित किए हैं। इनके यहां फल एवं सब्जियों को काटने, पीसने तथा मिश्रण के लिए नियमित आधार पर 60 महिलाएं और सीजनल आधार पर लगभग 150 महिलाएं रोजगार प्राप्त कर रही हैं। वे प्राकृतिक पूसा पेय एवं सोयानट की नवोन्मेशी प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
वे अब 3 कंपनियों, कृष्णा पिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, शिव शक्ति ट्रेडिंग कंपनी व जितेंद्र ट्रेडिंग कंपनी की स्वामी हैं। उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मान से नवाजा जा चुका है। वर्ष 2012 में भारत की 25 उत्कृष्ट महिलाओं की सूची में उनका नाम शामिल होना व एसपी पुरस्कार प्रमुख हैं। उनको विविधिकृत कृषि के लिए वर्ष 2013 का एन.जी. रंगा किसान पुरस्कार भी मिल चुका है। इनके उत्पादों को ऑस्ट्रेलिया भेजने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।
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