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सतावर की खेती को दिया उद्यमिता का रूप

धर्मेन्द्र सहाय, बरेली के राजेन्द्र नगर में रहने वाले 36 वर्षीय एक शिक्षित बेरोजगार युवक थे जिनका फार्म शहर से 52 कि0मी0 दूर, बरेली जनपद की सीमा से सटा ग्राम कजियापुरा, जिला रामपुर है। आज धर्मेन्द्र औषधीय फसल सतावर (एस्पैरागस रेसीमोसस) की सफलतापूर्वक खेती कर रहे है। इस फसल की वर्तमान में बाजार में जबरदस्त मांग है। धर्मेन्द्र सहाय राजेन्द्र नगर में अपने परिवार के साथ रहतें है |

धर्मेन्द्र सहाय, बरेली के राजेन्द्र नगर में रहने वाले 36 वर्षीय एक शिक्षित बेरोजगार युवक थे जिनका फार्म शहर से 52 कि0मी0 दूर, बरेली जनपद की सीमा से सटा ग्राम कजियापुरा, जिला रामपुर है। आज धर्मेन्द्र औषधीय फसल सतावर (एस्पैरागस रेसीमोसस)  की सफलतापूर्वक खेती कर रहे है। इस फसल की वर्तमान में बाजार में जबरदस्त मांग है। धर्मेन्द्र सहाय राजेन्द्र नगर में अपने परिवार के साथ रहतें है |               

वर्ष 2010 से पहले धर्मेन्द्र सहाय गेंहू, धान व गन्ना की खेती करते थे। इनके पास 12 एकड़ पैत्रिक सम्पत्ति है। वह इस जमीन पर कम उत्पादन व कम बाजार भाव प्राप्त होने वाली फसले करके संतुष्ट नहीं थे। धर्मेन्द्र कृषि विज्ञान केन्द्र से मशरुम उत्पादन तकनीकी एवं पशुपालन व्यवसाय का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके है। एक दिन आम के बाग के विषय में जानकारी प्राप्त करने कृषि विज्ञान केन्द्र गए। साथ ही धर्मेन्द्र को बताया गया कि सतावर एक औषधीय फसल है इसकी खेती करने से अन्य फसलो की तुलना में ज्यादा लाभ है, तथा ज्ञान वर्धन हेतु सतावर की खेती के विषय में विस्तृत जानकारी दी तथा बताया गया इसकी अच्छी गुण वाली जड़े कहां से प्राप्त करें,  इसकी कहां और कैसे बिक्री करें। उसके बाद धर्मेन्द्र ने कृषि विज्ञान केन्द्र नियमित आना शुरू कर दिया। उन्होने कृषि विज्ञान केन्द्र वैज्ञानिकों की सलाह पर औषधीय फसल उत्पादन से संबंधित सूचनाये एकत्र करना, संबंधित किताबे पढ़ना, कृषि संबंधित वैबसाइट को देखना व देश की विभिन्न मंडियों जैसे दिल्ली, लखनऊ, मध्यप्रदेष, हरिद्वार यहां तक की नेपाल का भी भ्रमण किया। प्रारम्भ में उन्होने सतावर का एक एकड़ बुवाई के लिए 15000/- रूपये में बीज क्रय किया तथा 2.5 वर्ष बाद उन्होने खेत से प्राप्त उत्पाद को दिल्ली बेंचा एवं 1 एकड़ से 6 लाख कमाये। उसके पश्चात धर्मेन्द्र ने सतावर में आय एवं रोजगार की सम्भावनायें, बाजार में मांग को पहचाना तथा पूर्णतः संतुष्ट होकर सतावर की खेती को और आगे बढ़ाया । धर्मेन्द्र ने किसान क्रेडिड कार्ड के माध्यम से 12 लाख का लोन प्राप्त किया और अपनी कमायी गयी पूरी धनराशि को सतावर की खेती में निवेश किया।

लगभग छः वर्ष के अनुभव के बाद धर्मेन्द्र सहाय ने 1000 कुन्तल सतावर की जड़ो का उत्पादन किया। इस प्रकार आपको सतावर की  300 कुन्तल सूखी जड़े प्राप्त हुई। जिसका  बाजार में रू0 20000/- से 55000/- कु0 प्रति भाव है। आप दवा कम्पनियों को सीधे,  स्थानीय व क्षेत्रीय बाजार में बिक्री कर लाभ कमा रहे है।

आप अपने आस पास के प्रगतिशील कृषको एवं अन्य ग्रामीण युवाओं को कृषि संबंधी सलाह भी दे रहे है और उनको उचित दर पर सतावर का बीज प्रदान कर रहे है। धर्मेन्द्र सहाय, उत्पादों की उचित दर पर बिक्री सुनिष्चित करने के लिए सूचना तन्त्र प्रणाली विकसित की है। जिससे अन्य उत्पादको के साथ-साथ कम्पनियों को भी सम्मलित किया है। आप अपने फार्म पर स्थानीय युवाओं को दैनिक मजदूरी प्रदान करने के साथ-साथ फार्म से जुड़े कार्यो जैसे प्रबन्धन, लेखा व फार्म संचालन में रोजगार प्रदान कर रहे है।  

धर्मेन्द्र द्वारा बोई गयी सतावर की सम्पूर्ण फसल, फसल बीमा के अन्तर्गत बीमित है। आपने कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली, कृषि विभाग बरेली , स्वयं सेवी संस्था व अनुसंधान केन्द्र से अनेक पुरूस्कार, प्रशस्ति पत्र व सम्मान प्राप्त किया है। वर्तमान में आप अपने गाँव के ग्राम प्रधान भी है, जो औशधीय पौधो की खेती से प्राप्त लोकक्रियता के कारण संभव हुआ।

English Summary: Entrepreneurship Published on: 26 August 2017, 06:00 AM IST

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