किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत होने के लिए परंपरागत खेती का मोह त्यागना होगा. इसके लिए किसानों को हमेशा कुछ नया करने के लिए तैयार रहना होगा. यह कहना है हरियाणा के यमुनागर के डॉक्टर कृष्णा गर्ग का. वे डॉक्टरी का पेशा छोड़कर फूलों की सफल खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें जबरदस्त कमाई हो रही है. वहीं वे आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.
25 लाख रुपये की कमाई
यमुनानगर की प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले डॉ. गर्ग 2016 से फूलों की खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपनी एकड़ जमीन में पॉलीहाउस तकनीक से जरबेरा और गुलाब के फूल लगा रखा है. वे अपने बेटे के साथ मिलकर फूलों की सफल खेती कर रहे हैं. फूलों को पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ समेत अन्य राज्यों को पहुंचाते हैं. जिससे उन्हें 20 से 25 लाख रुपये की कमाई होती है. इससे पहले डॉ. गर्ग भी धान, गन्ना और गेहूं जैसी परंपरागत खेती करते थे. जिससे उन्हें कोई ख़ास आमदानी नहीं होती थी.
12 महीने ही फूल आते हैं
डॉ. गर्ग का कहना है कि उन्होंने अपनी 3 एकड़ जमीन में पॉलीहाउस लगा रखा है. जिसमें वे जरबेरा और गुलाब उगाते हैं. पॉलीहाउस में उनके पौधे 12 महीने ही फूल देते हैं. उन्होंने बताया कि इन पौधों को एक बार लगाना पड़ता है जिसके बाद अगले पांच सालों तक फूल आते रहते हैं. वे जुलाई महीने में पौधें की रोपाई करते हैं. वहीं पौधे बेंगलुरु से मंगाते हैं जिसमें करीब 5 लाख रूपये का खर्च आता हैं. उन्हें फूल बेचने में ज्यादा परेशानी नहीं आती है बल्कि खरीददार उनके फार्म पर ही आ जाते हैं.
फूल रत्न अवार्ड से सम्मानित
उन्होंने बताया कि वे परंपरागत खेती से उकता चुके थे इसलिए उनके दिमाग में कुछ नया करने का ख्याल आया. तब उन्होंने 2016 में तीन एकड़ खेत में पॉलीहाउस लगवाया. जिसमें पहली बार खीरा की खेती शुरू की. इसके बाद उन्होंने फूलों की खेती शुरू की. खेती में उनके इंजीनियर बेटे बृजेश कुमार भी सहयोग करते हैं. उनका कहना है कि यदि छोटे किसान भी फूलों की खेती को अपनाये तो उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है. बता दें कि फूलों की आधुनिक खेती करने के लिए डॉ. गर्ग को प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर फूल रत्न अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं.
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