इनोवेटिव खेती किसानों के लिए कितनी फायदेमंद हो सकती है, इसकी मिसाल प्रोग्रेसिव फार्मर देवराज पाटीदार ने पेश की है. इंदौर से केवल 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव उमरीखेड़ा के रहने वाले देवराज पाटीदार बीते कई सालों से मिश्रित खेती (Mixed Farming Systems) कर रहे हैं. उनके पास तकरीबन 10 बीघा जमीन है, जिसमें वे आर्गेनिक तरीके से इसी मॉडल से खेती कर रहे हैं.
उनके इस खेती मॉडल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे पशु पालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी, सब्जियां और विभिन्न फसलें एक साथ उगाते हैं. इससे उन्हें सालाना 10 से 12 लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा मिल जाता है. खेती में नवाचार के लिए उन्हें देश, राज्य, संभाग और जिला स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं. वहीं, वे पिछले पांच सालों से हाइड्रोपोनिक फार्मिंग पर भी काम कर रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि वे हाइड्रोपोनिक (Hydroponic Farming) तरीके से अपने डेयरी फार्म के लिए पाले जा रहे पशुओं के लिए फोडर प्रोडक्शन (Fodder Production) करते हैं. तो आइए जानते हैं देवराज पाटीदार के मिश्रित खेती के पूरे मॉडल को.
टीचर की नौकरी छोड़ शुरू की खेती
कृषि जागरण से बातचीत करते हुए देवराज पाटीदार ने बताया कि साल 1984 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया. लेकिन वे खेती में भी कुछ नया करना चाहते थे. शिक्षक की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने डेयरी फार्मिंग का बिजनेस शुरू किया. एम.ए. और एल.एल.बी. तक पढ़ाई करने वाले देवराज ऑर्गेनिक तरीके से मिक्सड फार्मिंग सिस्टम पर काम कर रहे हैं. उनका मानना है कि आज रासायनिक खेती ने मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बुरी तरह क्षति पहुंचाई है. ऐसे में आज किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपनाने की जरूरत है.
मिक्सड फार्मिंग सिस्टम क्या है?
देवराज पाटीदार ने बताया कि रासायनिक खेती के कारण आज मिट्टी उपजाऊ क्षमता कम होने के साथ-साथ पानी ग्रहण करने की क्षमता भी कम हो गई है. खरपतवार को नष्ट करने वाली रासायनिक दवाईयों ने मिट्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. इसलिए वे प्रकृति के अनुकूल खेती करने पर जोर दे रहे हैं. इसके लिए वे डेयरी फार्मिंग, बागवानी, मधुमक्खी पालन, सब्जियों और अन्य फसलों की खेती एक साथ करते हैं. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन वे सब्जियों और अन्य फसलों में सफल परागण के लिए करते हैं.
डेयरी फार्मिंग के लिए फोडर प्रोडक्शन
उन्होंने बताया कि उनके डेयरी फार्मिंग में एचएफ, देशी समेत विभिन्न नस्लों की 30 से अधिक गायें हैं. जिनके लिए हाइड्रोपोनिक तरीके से फोडर प्रोडक्शन करते हैं. इसके लिए वे मक्का और गेहूं उगाते हैं. अपने इस कॉन्सेप्ट के बारे में वे बताते हैं कि इस तकनीक से हरा चारा तैयार किया जाता है, जो प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है. यह पशुओं के लिए सुपाच्य भोजन होता है. इसके लिए वे पहले दस से बारह घंटे गेंहू और मक्का के बीजों को भीगों देते हैं. अंकुरण के बाद इन्हें हाइड्रोपोनिक सेटअप में 5 से 7 दिनों तक उगाते हैं, जिससे हरा चारा प्राप्त होता है.
उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या करते हैं?
उन्होंने बताया कि वे आर्गेनिक तरीके से हल्दी, आलू, प्याज, लहसुन आदि की खेती करते हैं. अच्छे उत्पादन के लिए फसलों के अवशेषों और गोबर से तैयार खाद का प्रयोग करते हैं. इसके अलावा, विभिन्न रोगों की रोकथाम के लिए नीम ऑइल, पांच पत्ती काढ़ा का समय-समय पर छिड़काव करते हैं. उन्होंने बताया कि अच्छे उत्पादन के लिए फसल चक्र को अपनाना बेहद जरूरी है.
कई पुरस्कारों से सम्मानित
खेती में किए गए नवाचार के लिए देवराज पाटीदार को राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय कई पुरस्कार मिल चुके हैं. साल 2017 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य कृषक सलाहकार मंडल का सदस्य मनोनित किया था. इसी साल उन्हें भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन फसल पर प्रगतिशील कृषक पुरस्कार से सम्मानित किया था.
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