सरकार कृषि को लाभ का धंधा बनाने की पुरजोर कोशिशें सालों से कर रही है. इसके बावजूद किसानों की दशा और हालात वैसे के वैसे ही है. हालाँकि कुछ किसान परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करते हैं जिसका उन्हें फायदा भी मिलता है. ऐसी एक मिसाल बिहार के बांका जिले के चुटिया गाँव के किसान राजप्रताप भारती ने दी है जो हल्दी की आधुनिक खेती करके कई किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनें हुए हैं.
हल्दी की आधुनिक खेती
राजप्रताप न सिर्फ ओल बल्कि हल्दी की खेती से भी अच्छा पैसा कमा रहे हैं. वे एक बीघा में हल्दी की खेती करते हैं. इस बार उन्होंने अपने खेत में नरेंद्र हल्दी लगाई है. जिसका पौधा तीन से चार फीट का होता है. जो हल्दी की दूसरी किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार देती है. यह किस्म उपज और वजन में भी ज्यादा बैठती है. वे बताते हैं कि पहले वे सोनिया किस्म की हल्दी उगाते थे. हालांकि बाकि किसान भी अब नरेंद्र हल्दी लगाने पर ध्यान दे रहे हैं.
मिश्रित खेती करते हैं
भारती अपने खेतों में हल्दी के अलावा धनिया, आम और ओल की खेती करके जिले के कई किसानों को प्रभावित किया है. उन्होंने बताया कि केवीके से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने ओल की खेती शुरू.सबसे पहले थोड़ी बहुत जगह में ओल लगाई. धीरे-धीरे रकबा बढ़ाया. आज सालाना चार लाख रूपये की कमाई ओल की खेती से कमा रहा हूँ. उनका कहना है
कि इससे एरिया के अन्य किसान भी प्रभावित हुए और उन्होंने भी ओल की खेती शुरू कर दी. नतीजतन, क्षेत्र के कई किसान ओल की खेती कर रहे हैं. राजप्रताप आगे बताते हैं कि ओल छह महीने में 10 से 15 किलो की हो जाती है. जिसे बाजार में सीधे बेच देते हैं.
जो ओल बच जाता है उसे स्टोरेज करके रख देते हैं. जिसे फरवरी और मार्च के महीने में फिर से लगा देते हैं, जिससे नवंबर और दिसंबर में दोबारा से फसल तैयार हो जाती है.
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