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पारंपरिक खेती ही विजय की पहचान

कई किसान खेती को घाटे का व्यवसाय ही मान रहे हैं। यही वजह है कि देश के अधिकतर किसान आए दिन आत्महत्या करते हैं। कई ऐसे किसान भी हैं जो खेती को छोड़कर मजदूरी कर कमाने के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं।

कई किसान खेती को घाटे का व्यवसाय ही मान रहे हैं। यही वजह है कि देश के अधिकतर किसान आए दिन आत्महत्या करते हैं। कई ऐसे किसान भी हैं जो खेती को छोड़कर मजदूरी कर कमाने के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं। वहीं कुछ ऐसे शिक्षित किसान भी हैं जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भी अपने ही गांव में पारंपरिक खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के अरेर गांव के 40 वर्षीय किसान विजय मिश्र 40 एकड़ में खेती कर अलग पहचान बनाए हुए हैं। वे अपने खेत में चावल, गेहूँ, दलहन-तिलहन व साग-सब्जियों की खेती कर लाखों कमाते हैं। खेती के साथ-साथ वह बकरी, मुर्गी व बत्तख पालन भी कर रहे हैं।

विजय का कहना है कि शिक्षित होने के बावजूद उन्होंने अपने पिताजी से प्रेरणा लेकर खेती की ओर कदम बढ़ाया। आज वे खेती से सालाना लगभग 10 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं। परिवार का भरण-पोषण व बच्चों की शिक्षा-दीक्षा मैं इसी आमदनी से कर रहा हूं। मेरे परिवार में एक बेटा व दो बेटियां हैं। बेटा देहरादून से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है वहीं दोनों बेटियां स्नातक हैं।

उन्होंने कहा कि हम परिवार के दो ही लोग खेती की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं बिना सरकारी व बैंक की मदद से बकरी, बत्तख एवं मुर्गीपालन कर रहा हूं। मेरे पास लगभग 40 बकरियां, 65 बत्तख व 100 मुर्गियां हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं भी मुझे नहीं मिल पा रही हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए इनकी जटिल प्रक्रियाओं को देखते हुए मैंने बिना किसी अनुदान के अपने खर्च पर ही शेड बनाया। उन्होंने कहा कि अभी मैं अण्डे से चूजा व बकरी के बच्चे का प्रजनन कर वृद्धि करने में लगा हूं।

विजय कहते हैं कि बाजार की व्यवस्था नहीं होने से वह अपने अनाज व साग सब्जियों को स्थानीय मार्केट व मंडियों में बेचने के लिए स्वयं लेकर जाते हैं। वे कहते हैं कि पिछले साल पैक्स ने 100 क्विंटल धान खरीदा, सालभर हो गया धान की राशि के बदले धान ही वापिस कर दिया।

विजय का कहना है कि केंद्र व राज्य सरकार यदि वाकई कृषि व किसानों की बेहतरी चाहती हैं तो उनकी ओर से चलाई जा रही योजनाओं की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा। इसके साथ ही फसलोत्पादन के साथ-साथ बाजारों की भी समुचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित लाभ मिल सके तभी किसान का जीवन खुशहाल होगा अन्यथा नहीं। अधिक जानकारी के लिए किसान भाई इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं- विजय मिश्र, मो.: 8521714545

 

प्रशांत कुमार ठाकुर
कृषि जागरण मधुबनी, बिहार
Mob.: 7903922851

English Summary: Conventional farming identifies victory Published on: 02 April 2018, 12:35 AM IST

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