आज हम आपको चित्रकूट जिले की शिवकलिया देवी के बारे में बताएंगे. जिन्होनें कुछ हटके करने की सोची. जब शिवकलिया देवी ने 20 साल पहले हाथों में औजार और हथौड़ा उठाया तो वह गांव के लोगों के लिए हंसी का पात्र बन गई. लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे और कहते थे कि पुरुषों वाला काम अब यह औरत करेगी. औरतों के हाथ बर्तन धोने के लिए बने है ना कि औजार हथौड़े पकड़ने के लिए. इतना सब सुनने के बाद भी शिवकलिया ने हिम्मत नहीं हारी और हज़ारो नल ठीक करने वाली महिला मैकेनिक बनकर अपना नाम बनाया. पुरुष जो काम कर सकते हैं वह महिलाएं भी कर सकती हैं.
रैपुरा गाँव में रहने वाली शिवकलिया देवी गर्मी, सर्दी नहीं देखती. जब भी उनके क्षेत्र के किसी गाँव में कोई नल खराब होता है तो हर कोई उन्हें ही ले जाता है. वह गर्मियों की कड़ी धुप में कंधे पर बैग लटका कर जाती है और नल ठीक करने के बाद उसे जो कुछ भी आमदनी होती है उससे अपना घर चला लेती है. 17 वर्ष पहले हुए पति के निधन के बाद सारी ज़िम्मेदारी शिवकलिया देवी पर आ गई. इसलिए उन्हें मजबूरन अपने हाथों में औजार और हथौड़े उठाने पड़े. इस महिला ने नल मैकेनिक बनकर दिखा दिया है कि वह भी पुरुषों से कम नहीं है. एक महिला वह सब कर सकती है जो एक पुरुष कर सकता है. शिवकलिया देवी आज हर महिला के लिए एक मिसाल बन गई है.
उन्होंने कई जिलों में जाकर प्लंबर मैकेनिक की ट्रेनिंग ली और जब अच्छे से काम सिख लिया तो उन्होंने उसके बाद कईं महिलाओं को भी ट्रेनिंग दी. उन्हें एक नल ठीक करने के 300-400 रुपए मिल जाते है. जिससे उनका घर खर्च चलता रहता है. महिला मैकेनिक बन कर उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी एक अलग छाप छोड़ दी है.
अगर इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता, बस खुद के अंदर भरोसा और लगन होनी चाहिए. यह वह गुण हैं जो हमें ज़िंदगी में हर जगह सफल बनाते है. ऐसी ही शिवकलिया देवी की हिम्मत ने उन्हें लोगों की चर्चा का पात्र बनाया और आज उनका गांव उन्हें दिल से सम्मान और इज़्ज़त देता है.
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