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'मैं खुद चुकाऊंगा लोन, मुझे नहीं चाहिए कर्जमाफी'

एक ओर जहां अर्थशास्त्री यह कह रहे हैं कि कर्जमाफी बैंकों के लिए तो बुरा है ही,साथ ही साथ इससे नए लोन के समय किसानों की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं और कर्जमाफी की उम्मीद में बहुत से किसान लोन चुकाना बंद कर देते हैं और इसका असर बैंकों की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है. इसके बाद बैंक नए लोन बांटने पर तब तक सुस्त हो जाते हैं,

विवेक कुमार राय

एक ओर जहां अर्थशास्त्री यह कह रहे हैं कि कर्जमाफी बैंकों के लिए तो बुरा है ही,साथ ही साथ इससे नए लोन के समय किसानों की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं और कर्जमाफी की उम्मीद में बहुत से किसान लोन चुकाना बंद कर देते हैं और इसका असर बैंकों की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है. इसके बाद बैंक नए लोन बांटने पर तब तक सुस्त हो जाते हैं, जब तक सरकार उन्हें पैसे न लौटा दे, तो वहीं दूसरी ओर यूपी से एक ऐसा किसान सामने आया है जो अर्थशास्त्रियों के धारणाओं को गलत ठहरा किसानों के लिए मिसाल बन रहा है.

दरअसल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के पृथ्वीपुर नामक गांव में रहने वाले 'नागा कुशवाहा' को कर्जमाफी का फायदा नहीं चाहिए. इसके लिए उन्होंने बाकायदा अपने बैंक को पत्र दिया था. इसके बाद उन्होंने ईमानदारी से अपना पूरा कर्ज चुकाया और बाद में दूसरा ले कर्ज़ लिया. गौरतलब है कि जहां किसान कर्जमाफी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. सड़क पर उतर रहे हैं. वे दिनोंदिन राजनीतिक दलों के लिए औजार बनते जा रहे हैं ऐसे समय में धारा के विपरीत चलकर नागा कुशवाहा ने हिम्मत का काम किया है.

किसान नागा कुशवाहा का मानना है कि 'कर्ज माफ करवाने के बाद सरकार किसी न किसी तरह से पैसे को हम से ही लेगी, ऐसे में क्यों न कर्ज चुका कर बैंक में अपना क्रेडिट ठीक रखा जाए ताकि जरूरत पड़ने पर फिर से बैंक खुशी-खुशी पैसा दे सके.' बता दे कि नागा कुशवाहा तमकुहीराज तहसील के दुदही ब्लॉक के पृथ्वीपुर के रहने वाले हैं. उनका खेती करने योग्य जमीन पृथ्वीपुर, विशुनपुर बारिया पट्टी और मठिया भोकरीया तीनों ही गावों में हैं. उन्होंने खेती करने के लिए 'पूर्वांचल ग्रामीण बैंक' की दुदही शाखा से 'किसान क्रेडिट कार्ड' पर कर्ज लिया था. जिसका 1 लाख 6 हजार रुपये बकाया था. यह रकम उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कर्जमाफी योजना के दायरे में आ रही थी. इसे बैंक माफ़ करने वाली थी लेकिन नागा कुशवाहा ने बैंक में पत्र देकर कर्जमाफी का फायदा लेने से मना कर दिया.

मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक 'पूर्वांचल ग्रामीण बैंक' के दुदही ब्रांच मैनेजर राजेश कुमार गुप्ता ने नागा कुशवाहा के इस हौसले की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि यह ऐतिहासिक फैसला है. बकौल नागा कुशवाहा,"उनके पास तीन बीघा खेत है. जिसमें वह गन्ना और हल्दी की खेती करते हैं. अभी तक मैंने कभी किसी का एक पैसा मारा (रखा ) नहीं तो फिर सरकार का पैसा लेकर क्यों बैठें. कर्ज नहीं चुकाएंगे तो भी उसका भार कहीं न कहीं आकर हम जैसे लोगों पर ही पड़ेगा, इसलिए बेहतर है कि कर्ज चुका कर शान से रहा जाए."

गौरतलब है कि नागा कुशवाहा जैसे किसान सरकार की उस मुहिम का आइकॉन बन सकते हैं, जिसमें सरकार चाहती है कि किसान कर्जमाफी के भरोसे न रहे और अपनी आय बढ़ाकर समय से बैंक का ब्याज और कर्ज चुकाए.

English Summary: 'I'll pay myself a loan, I do not want debt forgiveness' Published on: 02 January 2019, 05:48 PM IST

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