किसानों के लिए मधुमक्खी पालन बहुत फायदे का व्यवसाय है. अगर इस व्यवसाय को कड़ी मेहनत और अच्छी देखभाल से किया जाए, तो आप बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. इस बात को हरियाणा के किसान जगपाल सिंह फोगाट ने सच साबित कर दिखाया है, तो आइए आपको जगपाल सिंह फोगाट की सफलता की कुंजी के बारे में बताते हैं.
कड़ी मेहनत से तैयार किया नेचर फ्रेश हनी
इस व्यवसाय में जगपाल सिंह फोगाट पिछले 19 सालों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद से ही मधुमक्खी पालन की शुरुआत कर दी थी. उस समय उनके पास सिर्फ 30 मधुमक्खी बॉक्स थे, लेकिन आज वह इस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि उनके पास करीब 6 हजार से ज्यादा मधुमक्खी के बॉक्स हैं. इसके साथ ही 15 मधुमक्खी किसानों का समूह है. यह समूह मधुमक्खी पालन कर शहद तैयार करता है, जो कि बाजार में नेचर फ्रेश हनी (Nature Fresh Honey) के नाम से प्रचलित है. यह केसर, टीक, लीची, तिल, तुलसी, नीम, अजवायन के फूल का शहद उपलब्ध कराता है.
कई मुश्किलों का किया सामना
मधुमक्खी पालन में जगपाल सिंह फोगट ने कई बड़ी मुश्किलों का सामना किया है. इस व्यवसाय में उनके परिवार ने भी साथ नहीं दिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने इस व्यवसाय को किया. इसके बाद वह सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए. आज उनके परिवार को भी उन पर गर्व महसूस होता है दरअसल, जगपाल सिंह फोगट का मानना है कि मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को अगर मन लगाकर किया जाए, तो इससे बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है.
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
एक लंबे समय की कड़ी मेहनत के बाद जगपाल सिंह फोगाट को सफलता हासिल हुई. इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार समेत कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया है. वह मधुमक्खी पालन को सामाजिक कार्य की तरह मानते हैं, इसलिए वह इस व्यवसाय से काफी संतुष्ट हैं. वह एक दोस्त के रूप में मधुमक्खी के साथ काम करते हैं और उनके जीवन को बचाने के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में समय-समय पर बदलते ररते हैं. बता दें कि बिना वनस्पतियों के मौसम में उन्हें जीवित रहने के लिए शहद भी वे खिलाते हैं.
नेचर फ्रेश हनी की खासियत
यह शहद स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा कहा जाता है. इसकी खासियत है कि यह शरीर से जुड़ी हर बीमारी के लिए उपलब्ध है. इससे हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है. यह एकदम प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है. इसके सेवन से कई बीमारियों का इलाज घर बैठे हो जाता है.
मुनाफ़े की बात
जगपाल सिंह फोगाट का मानना है कि पहले बाजारों में शहद की अच्छी कीमत मिल जाती थी, लेकिन समय के साथ-साथ इसकी कीमतों में गिरावट आती गई. 80 से 85 रुपये प्रति किलो ग्राम बिकने वाला शहद अब केवल 60 से 65 रुपये प्रति किलो ग्राम बिकता है. फिलहाल वह इस व्यवसाय से काफी खुश हैं.
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