1. Home
  2. सफल किसान

देश के सर्वश्रेष्ठ इंस्टीट्यूट को छोड़ शुरू किया बकरी पालन, कमाई लाखों में

हर कोई पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करना चाहता है, कभी आपने ये सुना है कि पढ़ाई करने के बाद किसी ने बकरी पालन करना चुना हो. पशुपालन व खेती से तो हमारे युवा वैसे भी दूर भागते हैं ऐसे में ये बात तो मजाक ही लगेगी. लेकिन ऐसा हुआ है और समाज में इस बदलाव की कहानी को लिखा है श्वेता तोमर ने.

KJ Staff
Goat Farming
Goat Farming

हर कोई पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करना चाहता है, कभी आपने ये सुना है कि पढ़ाई करने के बाद किसी ने बकरी पालन करना चुना हो. पशुपालन व खेती से तो हमारे युवा वैसे भी दूर भागते हैं ऐसे में ये बात तो मजाक ही लगेगी. लेकिन ऐसा हुआ है और समाज में इस बदलाव की कहानी को लिखा है श्वेता तोमर ने. श्वेता ने किसी छोटे नहीं बल्कि निफ्ट (NIIFT) जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है और अब वह उत्तराखंड के अपने गांव में बकरीपालन कर रही हैं.

श्वेता का सफर 2015 से शुरू होता है जब वो शादी करके अपने पति के साथ बैंग्लोर शिफ्ट हुईं. वो पहले से एक सफल फैशन डिजाइनर थीं. बैंग्लोर आने के बाद वो घर पर खाली नहीं बैठना चाहती थीं बल्कि खुद का कोई काम शुरू करना चाहती थीं.

एक दिन श्वेता अपने पति के साथ एक बकरी का फार्म देखने गईं. वहां उन्होंने कुछ समय बिताया और उन्हें बहुत अच्छा लगा. वो खाली समय में अक्सर वहां जाने लगीं, धीरे धीरे उन्होंने फार्म में बकरी पालन की सारे नियम समझ लिए. श्वेता ने भी बकरीपालन करने का मन बना लिया था.

एक गाँव में जन्मी और पली बढ़ी श्वेता को अच्छी तरह से पता था कि वो अपने इस शौक को इस शहर में नहीं पूरा कर सकती हैं और इसलिए उन्होंने बैंग्लोर शहर की अपनी अच्छी खासी लाइफस्टाइल छोड़कर उत्तराखंड के देहरादून के पास रानीपोखरी जैसे छोटे से गाँव में जाने का फैसला किया.

उन्होंने अपने पति रॉबिन स्मिथ से जब ये बात बताई तो उन्होंने खुशी-खुशी श्वेता को ये काम करने के लिए स्वीकृति दे दी. श्वेता ने बकरी पालन शुरू करने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी उसमें लगा दी. यहां तक बिजनेस को अच्छे स्तर तक पहुंचाने के लिए बैंक से लोन भी लिया.

श्वेता बताती हैं, उनके नजदीकी लोग उनके इस फैसले से हैरान थे. मेरी पढ़ाई और डिग्री को देखकर हर कोई सोचता था कि मुझे किसी बड़ी कंपनी में जॉब करनी चाहिए और अच्छे पैसे कमाने चाहिए. मेरा सबकुछ छोड़कर बकरी पालन करने का ये फैसला बिल्कुल गलत है और गाँव में कुछ नहीं रखा है करने क

हर नस्ल की बकरियां हैं फार्म में श्वेता ने अपना बिजनेस जिस जगह शुरू किया था वहां बहुत से जंगली जानवरों के आने का खतरा भी रहता था जो कभी भी बकरियों पर हमला कर सकते थे. लेकिन फिर भी श्वेता ने हार नहीं मानी और बैंक से लोन लेकर 250 बकरियों से बिजनेस शुरू कर दिया. इस समय श्वेता के फार्म में अलग अलग प्रजातियों की सौ से ज्यादा बकरियां पली हैं. इनमें सिरोही, बरबरी, जमना पारी और तोता पारी ब्रीड के पांच हजार से लेकर एक लाख तक के बकरे मौजूद हैं.

श्वेता बकरीपालन में पूरी तरह पारंगत हो चुकी हैं. बकरियों का दूध निकालने से लेकर उनकी देखभाल और छोटा-मोटा इलाज सब वो खुद ही करती हैं. जरूरत पड़ने पर वह खुद ही बकरों को बिक्री के लिए लोडर में लादकर मंडी ले जाती हैं. श्वेता के फार्म पर बकरियों की बिक्री इंटरनेट के माध्यम से भी होती है.

श्वेता बताती हैं शुरुआत में सरकारी स्तर पर छोटी-मोटी कई दिक्कतें आईं पर पशुपालन विभाग का उन्हें सहयोग समय-समय पर मिलता रहा. पिछले साल श्वेता का टर्नओवर 25 लाख रुपये का था. श्वेता अब अपना व्यवसाय शुरू करने के बाद दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण भी देती हैं.

English Summary: Bakri palan success storie Published on: 17 April 2018, 04:13 AM IST

Like this article?

Hey! I am KJ Staff. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News