पूजा-हवन करने से सभी का मन प्रसन्न और शांत रहता है और जब किसी ख़ास हवन या नवग्रह शांति पूजा की बात हो तो नवग्रह की लकड़ियों का प्रयोग होता है ऐसे में आपको बता दें की नवग्रह लकड़ियों में आम, फुड़हर, बरगद, पीपल, बेर, बेल, चिरचिटा, डुमर और खैर की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है और इन्ही नवग्रह लकड़ियों के व्यवसाय से रायपुर छत्तीसगढ़ से सटे एक गाँव में चमेली ध्रुव नामक एक साधारण सी महिला ने जब गाँव की महिलाओं को जंगल से आम की लकड़ियों को बीनने के बाद बाजार में बेचते हुए देखा तब उसने कुछ अलग करने कि ठानी और फिर क्या था एक इतिहास बना डाला है जी हाँ हम बता रहे हैं नवज्योति स्वसहायता समूह के बारे में गाँव की महिलाएं पहले मनरेगा में काम करने के बाद कभी जब काम नहीं होता था तब वो जंगल से आम की लकड़ियां तोड़ कर ले जाते और रायपुर के गोलबाजार की पूजा सामग्री की मंडी में १ रुपये प्रतिकिलो बेच कर गुजारा करते थे पर चमेली ध्रुव ने गाँव की सभी महिलाओं को एक जुट कर एक समूह के निर्माण का प्रस्ताव रखा और सभी महिलाओं को जंगल जा कर सभी नवग्रह लकड़ियों से परिचित कराया उसके बाद जो लकड़ी को एक रुपये प्रति किलो बेचते थे उसका मूल्य 5 गुना बढ़ गया है| वहीं नवग्रह की लकड़ियों का 250 ग्राम लकड़ियों का मूल्य 20 रूपए मिलने लगा जिससे ग्रामीण महिलाओं को समय पर पैसे उपलब्ध होने लगे और उनके रहन-सहन में सुधार आने लगा| समूह में निरंतर कार्य चलता रहा और फिर देखते देखते लगभग 20 हजार महिला मजदूरों का नवग्रह लकड़ी के व्यवसाय से जुड़ाव हो गया
फिर क्या था सोच अगर पक्की हो तो साथ मिल ही जाता है जी हाँ ऐसा ही कुछ इस नवज्योति स्वसहायता समूह के लिए राष्ट्रिय आजीविका मिशन मदद के लिए आगे आया और इस समूह के लिए बाजार उपलब्ध करवाया और आगे बढ़ने की राह दिखाई| चमेली की एक छोटी सी सोच से नवज्योति स्वसहायता समूह का आज नवग्रह लकड़ियों के सालाना कारोबार को पांच करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुँच गया है| आज नवग्रह लकड़ियों की मांग पुरे भारत में है जिससे हर साल इनकी मांग बढ़ती जा रही है| आज आलम यह है की कई महिलाओं की जिंदगी जो पहले अँधेरे में रहते थे या न्यूनतम मजदूरी में गुजर बसर करते थे आज उनकी जिंदगी का नजरिया ही बदल गया है आज उनके बच्चे स्कूल में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं उन्हें समय पर भोजन और तमाम मूलभूल सुविधाएँ उपलब्ध हो जा रहे है यह सिर्फ एक सोच के माध्यम से बदली हुई दिशा से सबकी दशा बदली है
इस समूह में कई ऐसी भी महिलाएं काम करती है जिनको एक समय में दो वक्त की रोटी के लिए भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी या किसी अकस्मात् स्थिति में साहूकारों के सामने हाथ फ़ैलाने पड़ते थे पर जब से ये महिलाऐं नवग्रह लकड़ियों के कारोबार से जुडी हैं तब से इन सबकी जिंदगी काफी आसान हो गई है| मिटटी के मोल बिकने वाली लकड़ियां आज सोना बन हजारों महिलाओं के घर को दमका रही हैं
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