“लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती”, हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित इस कविता को जरूर आपने भी पढ़ा होगा. लेकिन रोहतास (बिहार) के रहने वाले संजय प्रसाद गुप्ता एवं संगीता गुप्ता ने इसे चरितार्थ किया है.
विषम से विषम परिस्थितियां कोशिश करने पर बदल सकती है. इनकी कामयाबी इसी बात का प्रमाण है. इनके द्वारा बनाए गए व्यंजनों में एक तरफ स्वाद है तो वहीं दूसरी तरफ संर्घष की कहानी. बता दें कि आज इनके द्वारा बनाए गए आम, नींबू और लहसुन आदि के आचारों का स्वाद देशभर में चखा जा रहा है. इसके अलावा दोनों मिलकर पपीते के लड्डू, दाल के बड़ी और अन्य तरह के मिष्ठान भी बनाते हैं जो प्रदेश के साथ-साथ देश में भी लोकप्रिय हैं.
शून्य से शुरू हुआ सफर
आज संजय-संगीता का घर खुशहाल है. मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए घर में प्रर्याप्त संसाधन भी हैं. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब दैनिक जरूरतों का निर्वाहन भी मुश्किल से हो पाता था. संजय एक दुकान पर काम करते थे, दुर्भाग्य से वो भी बंद हो गया. हालांकि संगीता ने हिम्मत नहीं हारी. कभी वो पति के काम में हाथ बंटाती रही तो कभी मोबाइल की दुकान खोल खुद घर के हालात सही करती रही. बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से मशरूम प्रशिक्षण भी लिया.
मशरूम के प्रयोगिक प्रशिक्षण ने घर के हालात तेज गति से बदल दिए. देखते ही देखते संजय-संगिता आस-पास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध हो गए. आज कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास की मदद से ये दोनों तरह-तरह के लड्डू, आचार, पापड़ एवं अन्य तरह के मिष्ठान बना रहे हैं.
संजय कहते हैं कि रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र जाना चाहिए. यहां से वो अच्छा प्रशिक्षण प्राप्त कर छोटे स्तर पर कोई व्यापार शुरू कर सकते हैं.
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