देश में रक्षाबंधन के त्यौहार की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. बाजार राखियों व गिफ्टों से सज चुके हैं. हर तरफ चहल पहल और चमक है. बाजार में रंग बिरंगी राखियां आपका मन मोह लेंगी.
बता दें कि मौजूदा वक्त में लोग आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि अब बाजार में भारत में बनी राखियां ही दिखाई दे रही हैं. ऐसे में गुजरात की महिलाएं भी रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर राखियां बना रही हैं. खास बात यह है कि यह महिलाएं गाय के गोबर का प्रयोग कर राखियां बना रहीं हैं. इनकी राखियों के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं.
गाय के गोबर से बन रही राखियां
भारत को इनोवेशन का देश माना जाता है. गुजरात के जूनागढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के साथ ही गाय के गोबर से राखियां बना रहीं हैं. जिससे जिले की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है.
कोरोना के बाद बड़ी मांग
जहां एक तरफ देश में कोरोना महामारी ने देश के कई व्यापारियों का व्यापार तथा लोगों का रोजगार छीन लिया था, तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना बहुत से लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खोलकर आया. आपको बता दें कि कोरोना काल में लोगों के लिए इंटरनेट वरदान साबित हुआ. लघु व यूनिक उद्योग को इंटरनेट के जरिए एक नई पहचान मिली है.
ऐसी ही गुजरात के जूनागढ़ की महिलाओं का यह बिजनेस भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका तक पहुंच गया है. उनका कहना है कि कोरोना से पहले केवल 500 राखियां ही बनाती थीं. मगर अब बढ़ती मांग के चलते तकरीबन 20 हजार राखियां बना रही हैं. अब इनकी राखियों की मांग अमेरिका तक पहुंच गईं है.
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शत प्रतिशत आर्गेनिक है राखियां
गोबर ने निर्मित यह राखियां पूरी तरह से आर्गेनिक हैं. यानी इनमें किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. पानी के संपर्क में आने के बाद यह राखियां पूरी तरह से घुल जाती हैं. इसमें गोबर के मोती बनाकर मोली के धागे में पिरोए जाते हैं. आपको बता दें कि मोली का धागा कलाई में बांधने के लिए उपयोग में लाया जाता है. तो वहीं गोलियों में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ समेत अन्य बीज डाले जा रहे हैं, ताकि राखी को उपयोग में लाने के बाद इसे गमलों व मिट्टी में डाला जा सकता हैं. जिससे प्रदूषण भी कम होगा.
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