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इत्र बना के आप भी कमा सकते हैं लाखों, जाने बनाने की पूरी विधि

गुलाब की खुशबु लिए बाज़ार में मिलने वाली हर शीशी इत्र नहीं होती है. गुलाब जल और गुलाब के इत्र में होता है बहुत बड़ा अंतर.

प्रबोध अवस्थी

हम सभी जब भी किसी पार्टी या कहीं भी किसी ख़ास जगह जाने का प्लान बनाते हैं तो अपने कपड़ों या बॉडी पर परफ्यूम या इत्र जरूर लगाते हैं. इससे लोगों का ध्यान आपसे आने वाली खुशबू की ओर आकर्षित हो जाता है. आज हम आपको बताते हैं कि ये इत्र कैसे बनता है और बाज़ार में कितने तक का मिल जाता है.

क्या अंतर है गुलाब जल और गुलाब के इत्र में 

अक्सर हम अपनी मिठाइयों को सुंगधित करने और चेहरे पर लगाने के लिए गुलाब जल का प्रयोग करते हैं. इससे चहरे में चमक और स्मूथनेस आती है. खाने पीने की बनी हुई चीजों में भी गुलाब जल का खूब प्रयोग किया जाता है. बाज़ार में हम अलग-अलग तरह के प्रयोग के लिए गुलाब जल को खरीदते हैं. लेकिन यह इत्र नहीं होता है. गुलाब जल और गुलाब के इत्र में बहुत अंतर होता है. लेकिन दोनों को ही बनाने के लिए सबसे पहले धातुओं की बड़ी बड़ी डेग जिन्हें हम मटके भी कहते हैं का इस्तेमाल करते हैं. यह बर्तन लगभग 150 किलो तक के होते हैं. इन्ही बर्तनों के माध्यम से बनता है गुलाब का इत्र और गुलाब जल. इन धातु के बने मटकों में सबसे पहले हम फूलों को डालते हैं और उसके बाद इसमें आनुपातिक रूप में पानी को मिलाते हैं. इन दोनों के मिश्रण को अच्छी तरह एक बर्तन में डाल देने के बाद हम इसमें DOP (एक तरह का तेल) या संदल का मिश्रण कर इत्र बनाया जाता है. गुलाब जल या इत्र बनाने के लिए ठंडे और गरम पानी का प्रयोग किया जाता है. दोनों पानी के लिए अलग-अलग बर्तन होते हैं. सबसे पहले बड़े बर्तन में हम गुलाब और पानी की आनुपातिक मात्रा डाल देते हैं. इसके बाद अब निर्धारित किया जाता है कि इसको किस प्रयोग में लाया जायेगा.

अगर यह गुलाब जल की तरह प्रयोग में लाने के लिए बनाया जायेगा तो इसके बाद से ही प्रक्रिया को शुरू कर सकते हैं. लेकिन अगर आप इसे इत्र के रूप में बनाना चाहते हैं तो आपको इसमें DOP या संदल के तेल का प्रयोग करना होता है. इसी तेल के प्रयोग से गुलाब से इत्र का निर्माण किया जाता है. अब बड़े बर्तन को मिट्टी से अच्छी तरह बंद कर दिया जाता है साथ ही एक धातु की नली जो बड़े बर्तन के मुंह से होते हुए छोटे बर्तन के मुंह में खोली जाती है. छोटे बर्तन को ठन्डे पानी में रखा जाता है. और बड़े बर्तन को हलकी आग में लकड़ी और गोबर के उपलों की सहायता उबाला जाता है. इसकी भाप धीरे-धीरे छोटे बर्तन में द्रव के रूप में एकत्र होती है. इस पूरी प्रक्रिया में वाष्पीकरण के माध्यम का प्रयोग किया जाता है.

बड़ा अंतर होता है DOP और संदल के तेल में

ये दोनों ही तेल तब प्रयोग किये जाते हैं जब हम किसी फूल को इत्र बनाने के लिए प्रयोग करते हैं. लेकिन दोनों में ही बहुत बड़ा अंतर होता है. इसमें DOP आपको बाज़ार में मात्र 150 रुपये से 200 रुपये किलो के भाव में मिल जाता है वहीं संदल का तेल 90000 से 100000 रुपये किलो के भाव में आता है.

आज कल बाज़ार में मिलने वाले इत्र में DOP का प्रयोग ज्यादा होता है. सामान्य रूप से यह बिजनेस कन्नौज क्षेत्र में प्रचलित है. लोग यह व्यापार करके लाखों रुपये महीने की आय भी कर रहे हैं. इस व्यवसाय में एक बार सफलता मिलने के बाद पैसे की कभी कोई कमी नहीं रहती है.

यह भी देखें- सूखे फूलों से बनाएं खाद, इत्र, अगरबत्ती समेत कई उत्पाद

English Summary: How is rose water and rose perfume made Published on: 07 April 2023, 04:12 PM IST

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