मध्यप्रदेश में लागातार पड़ रही ठंड के चलते फसलों पर बुरा असर पड़ा है. ठंड के चलते बैतुल जिले में एक लाख हेक्टेयर खेत में बोई गई चने की फसलों पर ठंड का प्रभाव पड़ रहा है. जरूरत से ज्यादा ठंड के चलते आलम यह हुआ है कि चने की फसल में लगी फल्लियों के अंदर दाना ही नहीं पड़ रहा है और जब भी दाना बनता है तो वह काला होकर आसानी से सूख जाता है. साथ ही जो फसलें अभी बची रह गई हैं वह दोबारा से ठंड पड़ने के चलते पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर है. किसानों की मानें तो इतना ज्यादा नुकसान हो चुका है कि ठंड के कारण फसलों को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की रकम भी पूरी नहीं हो पा रही है. किसान इस हद तक मजबूर हो गए है कि उन्हें अपनी खेत में लगी फसलों को मवेशियों के हवाले करना पड़ रहा है.
ठंड पड़ने से हुआ नुकसान
मध्य प्रदेश में कृषि विभाग ने किसानों को अल्प वर्षा के कारण असिंचित क्षेत्र में किसानों को चने की फसल की बुआई करने के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य आंरभ किया था. इसी के चलते जिले में एक लाख हक्टेयर से अधिक रकबे में किसानों ने अपने खेत में चने की फसल की पैदावर करना शुरू कर दिया है. पिछले साल की दिसंबर महीने तक चने की फसल काफी बेहतर थी और अच्छी पैदावार दे रही थी लेकिन जनवरी के अंतिम सप्ताह में मौसम ने ऐसी करवट ली कि जिले में न्यूनतम तापमान लगातार 3-4 डिग्री तक बना हुआ है. फसलों पर ओस की बूदें पड़ने के कारण सबसे अधिक चने की फसल को नुकसान पहुंचा है. किसान महेश्वर सिंह चंदेल के अनुसार ठंड का जोर ज्यादा था और फिर लागातार पाला पड़ा जिससे चने की फसल फल-फूल नहीं रही. फसल पर ठंड पड़ते ही चने के अंदर पड़ने वाला दाना खराब और काला पड़कर पूरी तरह से मुरझाने लगा.
पीले रंग की फल्लियां पड़ी
चने की फसल में जिन जगह पर दाना भीतर सुरक्षित रहता है उनका हरा रंग पूरी तरह से पीला पड़ने लगा है. फल्लियों को जब किसान खोलकर देख रहे है तो उसमें दाना प्रारंभिक अवस्था में काला होकर अब आसानी से सूखता हुआ नजर आ रहा है. पूरे खेत में चने में लगी हुई फल्लियां पीले रंग की दिखाई दे रही हैं, लेकिन उसके अंदर किसी भी तरह से कोई दाना नहीं है. पूरे खेत में पिछले महीने तो लहलाती फसल से भरपूर पैदावार देखने को मिली थी लेकिन अचानक से मौसम के बिगड़ जाने के चलते 70 प्रतिशत से अधिक चने की फसल खेत में बर्बाद हो चुकी है.
15 प्रतिशत नुकसान, मुआवजे की होगी मांग
किसानों का कहना है कि खेतों में जो चने की फसल है उसे ठीक तरह से फसल बीमा योजना के तहत अधिसूचित नहीं किया गया है. इसके चलते किसानों के द्वारा खेत में बोई गई चने की फसल का मुआवजा भी नहीं मिल पाया है. राजस्व विभाग ने नुकसान का आकलन करके शासन को रिपोर्ट भेज दी है जिसमें 15 प्रतिशत कम नुकसान की बात हुई है. किसानों को डर है कि इससे उनको ठीक तरह से मुआवजा भी नहीं मिल पाएगा. किसानों का कहना है कि उनपर दोहरी मार पड़ रही है. फसल बीमा तो हुआ ही नहीं और प्रशासन के द्वारा भी न तो सर्वे कराया जा रहा है और न ही मुआवजा देने के संबंध में कोई बात की जा रही है. जल्द सर्वे कर चने की बर्बाद हुई फसल का मुआवजा नहीं दिया गया तो संघ के माध्यम से प्रदर्शन किया जाएगा.
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