जरूर आपने भी यही सुना होगा कि एल गोर ने इंटरनेट का अविष्कार किया था, लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में मिस्टर गोर ने कभी ये क्लेम भी नहीं किया कि उन्होने ही इंटरनेट का अविष्कार किया था। 1999 के एक इंटरव्यू के दौरान तत्कालीन वाइस प्रेसीडेंट ने कहा कि उन्होंने इंटरनेट बनाने में पहल की थी। एक राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कंप्यूटर वैज्ञानिक, प्रोग्रामर और इंजीनियरों का समर्थन किया, जिन्होंने कानून के माध्यम से वैश्विक नेटवर्क का निर्माण किया।
सच्चाई यह है कि इंटरनेट का निर्माण करने के लिए लोगों का एक पूरा समूह जिम्मेदार है। उनमें सबसे पहले, ऐसे स्वप्नकार थे जिन्होंने कल्पना की थी कि एक दिन कंप्यूटर एक-दूसरे के साथ संवाद करेंगे। प्रारंभिक कंप्यूटर आइसोलेटेड डिवाइस थे, जो कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के बहुत सारे फिजिकल प्रयासों के बिना डेटा साझा करने में सक्षम नहीं थे। उस समय डेटा ट्रांसफर करने के लिए आपको पंच कार्ड या चुंबकीय टेप के रीलों की आवश्यकता होती थी।
वहीं कुछ लोगों ने एक भविष्य की कल्पना की, जिसमें कंप्यूटर दुनिया की जानकारी तक पहुंच बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सके और भारी मात्रा में प्रोसेसिंग केपेबिलिटी प्रदान कर सके। ऐसा ही एक व्यक्ति थे, वेन्नेवर बुश, जिन्होने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रक्षा अनुसंधान समिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बुश ने 1945 में लिखा था कि द्वितीय विश्व युद्ध के अनुभव के आधार पर सभी भविष्य के संघर्षों में जानकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने यह भी मान्यता दी कि हर दिन हमारे द्वारा जेनरेट की जाने वाली जानकारी की मात्रा बहुत बड़ी है, कोई इसे कैसे प्रबंधित कर सकता है? बुश ने एक स्वचालित डिवाइस की कल्पना की थी जो सूचना का प्रबंधन कर सकता था। यह अनिवार्य रूप से एक कम्प्यूटरीकृत पुस्तकालय था। उन्होंने इस सैद्धांतिक इंजन को 'मेमेक्स' नाम दिया।
डेटा प्रबंधन की समस्या को सुलझाने के लिए सिर्फ कंप्यूटर नेटवर्क ही नहीं बल्कि एक वैचारिक दृष्टिकोण भी आपवश्यक था।
उनके विचार भविष्य के कंप्यूटर वैज्ञानिकों को एक असली मेमेक्स डिवाइस बनाने का एक रास्ता खोजने के लिए प्रेरित कर रहे थे। आखिरकार, बड़े पैमाने पर डिजिटल लाइब्रेरी के इस सपने का तकनीकी विकास हुआ। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ डिफैंस के प्लान ने इस सोच का मोशन डवलपमेंट शुरू किया।
उनके प्लान में एक वाइड एरिया नेटवर्क बनाने की योजना थी, जो विभिन्न कंप्यूटरों के बीच जानकारी साझा करने के लिए विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम चला सके।
जे.सी.आर. लिक्लीडर नामक एक आदमी ने इस सोच को वहां से उठाया जहां वैन्नेवर बुश ने इसे छोड़ा था। उन्होंने भी जानकारी प्रबंधन के लिए एक नया दृष्टिकोण की आवश्यकता को देखा। उन्होंने अनुमान लगाया कि किसी कार्य को करने के पूरे समय में से 85 प्रतिशत समय इन्फोर्मेशन की छंटनी करने में जाता है।
उन्होंने अन्य नेटवर्कों से बने एक नेटवर्क की कल्पना की जो किसी कंप्यूटिंग सिस्टम को अधिक शक्तिशाली बनाता।
उन्होंने कंप्यूटर नेटवर्क के एक विशाल नेटवर्क के अपने विचार को 'इंटरगैलेक्टिक नेटवर्क' कहा। इन विजनरियों ने उन विचारों को प्रदान किया जो कि अगले दौर के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने पहला वाइड एरिया नेटवर्क: एआरपीएएनईटी बनाने के लिए एक्सपेंड किया होगा। और इन्हीं की मेहनत और एडवांस सोच का नतीजा है कि आज कम्प्यूटर्स ने हमारा काम इतना ज्यादा आसन बना दिया है।
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